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शेर भी जानता था

 _ शेर भी जानता था शाम का वक्त था। श्याम जैसे ही दफ्तर से लौटकर घर आया, पूरे घर में रौनक सी फैल गई। बच्चे, बूढ़े, औरतें – सब उसके पास आकर दिनभर की बातें साझा करने लगे। हर दिन की तरह आज भी सबसे अंत में उसका वफादार कुत्ता “शेर” आया। वह चुपचाप श्याम को देखता, सर झुकाकर अपनी खुशी जाहिर करता और फिर पास में बैठ जाता। धीरे-धीरे श्याम की जिंदगी एक ढर्रे पर चलने लगी थी। श्याम की पत्नी विमला, तेज-तर्रार और साफ बोलने वाली महिला थी। अक्सर वह आंगन में खड़ी होकर पड़ोसियों से बातें करती और बीच-बीच में श्याम को ताना भी मारती, "श्याम! आकर खाना क्यों नहीं खा लेते? मैं बाकी औरतों की तरह नहीं हूं जो बार-बार खाना गरम करके दूं।" लेकिन श्याम जानता था कि विमला जैसी दिखती है, वैसी नहीं है। उसके दिल में प्यार भी था, बस तरीका कड़वा था। कुछ दिन पहले विमला के भाई की शादी थी, लेकिन श्याम आर्थिक तंगी के कारण विमला को नए कपड़े नहीं दिला सका था। यही बात विमला के गुस्से की वजह बन गई थी। श्याम पूरे घर का एकमात्र कमाने वाला था। उसकी तनख्वाह से ही सब चलता था। वह दिन-रात मेहनत करता ताकि अपने परिवार की जरूरतें पूर...

Faasle

_ फासले  यूँ फासले जो तेरे मेरे दरमियाँ आने लगे, हमें लगता है, तुम कहीं और दिल लगाने लगे। अपनी थकावट सुना कर अब जो तुम, हमें बहलाकर, हमें ही सुलाने लगे। हम समझ गए हैं — कि "जान", "जानू", "डार्लिंग" कहकर, तुम अब किसी और को बुलाने लगे।  ~ Drx Ashika sabri (Age: 22) Bsc ,D pharma Varanasi(U.P)

Pagal

_ पागल हो क्या तुम? क्यों कोई तुमको आँखों में बसा ले काजल हो क्या तुम? शहर की गलियों में गाँव वाली मोहब्बत ढूंढ रही हो, पागल हो क्या तुम? अब कहाँ कोई छत पर आकर तोहफ़े में दुपट्टा दिया करते हैं, अब तो व्हाट्सऐप चैट पर बिना कपड़ों के फोटो मंगा लिया करते हैं। बिना देखे मोहब्बत करने का दौर गुज़रे बरसों हुआ करते हैं, देखो सूरज ढलने को आया, चलो अपने-अपने घर चलते हैं। ~ Drx Ashika sabri (Age: 22) Bsc ,D pharma Varanasi(U.P)

Ghar se Nikli

- घर से निकली घर से निकली तब जा कर ये बात समझ आई मुझे, कि कहीं खा न जाए महफ़िल की तन्हाई मुझे, जो लगती थी अक्सर। अपनों की बातें रुसवाई मुझे, लड़खड़ाने पर क़दम मेरे सभाली उनकी ही परछाईं मुझे। पहले नादान थे जो, समझ न पाते थे रिश्तों को, आज जो अकेले हुए तो समझ आई उनकी गहराई मुझे। जो न आती मैं घर वापस तो मार देती लोगों की बेवफ़ाई मुझे | ~ Drx Ashika sabri (Age: 22) Bsc ,D pharma Varanasi(U.P)

Adhuri Mohhabat

_ अधूरी मोहब्बत ना मैं उसके तक़दीर में ना वो मेरी हाथों की लकीर में ये मोहब्बत इतना आसान नहीं होता,  साबरी कभी-कभी तो लोग पागल बनकर बंध जाते हैं लोहे की ज़ंजीर में। ~ Drx Ashika sabri (Age: 22) Bsc ,D pharma Varanasi(U.P)

Ummeede

_   उम्मीदें उम्मीदें इस जहाँ में बस ख़ुदा से रखना तुम साबरी इंसान कभी किसी के साथ वफ़ा नहीं करते। जो क़ैद कर ले किसी को अपनी यादों में, तो मरने तक उनको उस यादों से रिहा नहीं करते। रूह से इश्क़ करना ये बस ख़्वाबों-ख़यालों  फिल्मों में सुन रखा होगा सबने, हक़ीक़त में इस जहाँ में लोग बिना जिस्म के इश्क़ का सौदा नहीं करते। वादे करके भूल जाना तो इंसान की फ़ितरत है। यहाँ वादे ख़ुदा से भी करके लोग पूरा नहीं करते। ~ Drx Ashika sabri (Age: 22) Bsc ,D pharma Varanasi(U.P)

Hamari Pehli MulaKat

 _ हमारी पहली मुलाक़ात हमारी पहली मुलाक़ात हमें हमारी दूरियाँ बता रही थी। वो अपनी बीवी और बच्चों के साथ सामने से आ रहा था। उसे किसी और के साथ देखकर दिल मेरा जैसे बैठा जा रहा था। वो भी अपनी पलकों को बार-बार झुका रहा था, शायद अपने आँसू छिपा रहा था। बदलकर रुख अपना उसकी तरफ से, जो मैं आगे को निकली, तो कोई मुझे मेरे नाम से पुकार रहा था। पलटकर जो मैं देखी तो, पता चला — माँ-बाप और समाज से हारा हुआ एक लड़का, अपनी बेटी को अपनी माशूका के नाम से बुला रहा था ~ Drx Ashika sabri (Age: 22) Bsc ,D pharma Varanasi(U.P)

Khushhal Khushi

. खुशहाल ख़ुशी खुशियों की लहर दौड़ पड़ी रामदत्ती परिवार में पाकर एक सुंदर सी कन्या भर गए जज़्बात में बेटे के बाद बेटी आई इस छोटे से परिवार में "ख़ुशी" जिसका नामकरण हुआ इस जहान में। नाज़ुक सी, कोमल सी कली है वो सब के दिलों की धड़कन है वो पापा की लाडली, मम्मा की दुलारी भाई की नज़रों में बहुत ख़ास है वो। एक मामा की आँखों का नूर है तो दूसरे मामा के जीवन का हूर है सभी मौसियों की वो चश्म-ए-बद दूर है सादगी सा जीवन, करती नहीं मगरूर है। पढ़ाई में हमेशा ही वो अव्वल रहती है अपने भविष्य की वो सदैव क़दर करती है जी जान से मेहनत वो करती रहती है और सुनहरे सपने वो सदा बुनती रहती है। --- बहुत कुछ मन में संजोए रखा है अपना निश्चित उद्देश्य बनाए रखा है सफलता का मन में हठ निश्चय कर रखा है बिना किसी सहयोग के, स्वयं को परखा है। भविष्य में कुछ अच्छा करने की ठानी है परिवार में उसके जैसा नहीं कोई सानी है भोली मासूम सी, लेकिन लगती बेगानी सी है जल्द ही किसी से खुलती पहचान नहीं लेकिन अपनी तो दीवानी है। खूब करो मेहनत और अच्छी ज़िंदगी बनाओ समाज और परिवार में खूब नाम कमाओ यही दुआ करता है ईश्वर से ये ना...

Gauraiya ki Pukaar

 गौरेया की पुकार तपती दुपहरी और तेज धूप, छोटा सा आसियान मेरा भी है। आप के आराम के वक्त, मैं भी आई थी। तपती दुपहरी में सो रहे थे आप,  मैं मुंडेर से पुकार कर लौट आई। 'कूलर' की कर्कस आवाज ने,  मेरी करूण पुकार को दबा दिया।। - राधेश्याम जोशी कोहिणा Poet  राधेश्याम जोशी कोहिणा EDUCATION : ADDRESS :

Basant Ki Bahaar

बसंत की बाहार बसंत की बाहार फूलों की भरमार खुशबू से भरा ये संसार  रंगों से रंगा में हूँ पलास तन भी सुंदर मन भी सुंदर l ओर मेरा जीवन है सुंदर, धूप लगे न प्यास  मानव मन मोहित हो जाता भूख लगे ना प्यास l रहो आप सुखमय जीवन में खुशियों की बाहार l  अवनि भी अपना रंग बिखरे, केशर और हरियाली की शान l मानव मन मोहित जाता भूख लगे ना प्यास  फूलों सा रंग लगावो जाति,  धर्म का भेद मिटावो l रहो आप सुखमय जीवन में खुशियों की बाहार, धरा को भी आंच न आए फूलों सा रंग लगावो खुशियों की बाहार l रहो आप सुखमय जीवन में खुशियों की बाहार  जाति धर्म का भेद मिटावो होली का त्यौहार मनावो  खुशियों की बाहार, मिल बाट कर खुशियां मनावो सुख समृद्धि घर में लाओ  होली का त्यौहार मनावो फूलों सा रंग लगावो  रहो आप सुखमय जीवन में खुशियों की बाहार  बसंत की बाहार फूलों की भरमार खुशबू से भरा ये संसार  रहो आप सुखमय जीवन में खुशियों की बाहार l                          सुरेश कटारा एम. एस. सी वनस्पति शास्त्र  प्रक...

Mann ki vriti

 मन की वृत्ति अशांत है - - मन की वृत्ति अशांत है,   विचारो की हिम् चहलाहट है।   आल्हादिनी की ध्व ध्वरे,   हृदय पराजित जो थे मेरे।   जीवन पराकलम्बी हो गया,   मन मृत आवेग में खो गया।   वही जीवन महान है,   जिसका मन प्रशांत है।                          -     Poet  "दीनानाथ सागर"   EDUCATION : ADDRESS :

Premika ki akhiri khwahish

प्रेमिका की आखिरी ख्वाहिश " इश्क से भी ज्यादा इश्क है तुमसे,   खुद से‌ भी ज्यादा मोहब्बत है तुमसे,   अगर मेरी आखिरी  ख्वाहिश कोई पूछे मुझसे,   तो मेरे दिल से यही आवाज आएगी कि वो ख्वाहिश है सिर्फ तुमसे..! Poet  Secret Queen EDUCATION : ADDRESS :

Hoslon ki udaan

"हौसलों की उड़ान"   एक लड़की की हैयह कहानी प्यारी  उसको पढ़नेका हैशौक बड़ा  पर उसके साथ आज तक कोई खड़ा ना हुआ,  उसनेअकेलेही चलना सीख लिया  दुनिया सेभी लड़ना सीख लिया  कदम बढ़ेंगेउसके आगेसदा,  घबराई सी सहमी सी  दुनिया वो अकेले कैसे लड़ेगी  भला  सपना है उसका बहुत  बड़ा  पर कोई उसके साथ नहीं है खड़ा,  फिर भी आगे चल रही है  अपने सपनों की मजिंल खद ही तय कर रही है,  हैउसको खुद पर ये यकीन बड़ा  एक ना एक दि न कोई जरूर होगा उसके भी साथ खड़ा,  आगे बढ़ेगी अपने सपनों तक मजिंल तक  पा लेगी वो एक दिन शिखर बड़ा  आए हजारों मश्किलें लेकिन  वो अपना रास्ता बना ही लेगी  खुद के मन को बहला ही लेगी  पर वो ना रोकेगी कदम अपना,  उसको हैयकींकी मजिंल मिल ही जाएगी  जो भी करेगा मेहनत सदा,  एक लड़की की है ये कहानी प्यारी  जिसका कदम कभी ना रुका है  तलाश उसको अभी भी अपनी मजिंल की  वो ना रुकेगी जब तक है उसमें जां..!  Poet  Secret queen EDUCATION ...

Gazal

ग़ज़ल दुनियाँ की ये अजब यहांँ तस्वीर है।  गमों से भरी हुई यहांँ जिंदगी है ॥ प्यार करने वाले प्यार कर ना सके।  लुटने को यहांँ जिंदगी है ॥ दो कदम साथ-साथ जो यहांँ चले।  बिछड़ने को अब जिंदगी है ॥ हाल क्या पूछोगे इन गरीबों के।  दफन होती यहां उनकी जिंदगी है ॥  मत हो जिंदगी यहांँ खराब कोई भी।  कीमती सभी की यहांँ जिंदगी है॥  👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet  Dinanath Sagar EDUCATION : ADDRESS :

Dadi Maa

दादी मांँ दादी रोज सवेरे उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि करके भगवान की पूजा करती और समय पर रसोई में आकर अपने पसंद का नाश्ता बनवाती है दादी के घर में सब संस्कारी है। दादी ने सबको संस्कारी बनाया घर में आए हुए थेअतिथि का पूरा आदर् सत्कार हो तथा बच्चे बड़े बूढ़े सब का सम्मान हो। दादी अपना कोई काम अगर किसी पड़ोस में भी कह दे तो कोई मना नहीं करता ।बच्चे बूढ़े गली गुवाड़ सब दादी का कहना मानते हैं। दादी छोटी उम्र में ही विधवा हो गई। उस जमाने में विधवा होने का मतलब अभिशाप था दादी कहीं बाहर नहीं निकलती और छायली कपड़े पहनकर रहती। दादी काम में बहुत चतुर रसोई बनाने से लेकर कशीदा काश्तकारी सभी में परफेक्ट थी घर में शादी विवाह या पड़ोस में शादी ब्याह होता तो सब का कार्य करके घर बैठे मुफ्त में कर देती। किसी के आगे अपने स्वाभिमान को नहीं गिराया अनपढ़ थी फिर भी सब कुछ कार्य करने में उत्साहित रही और कार्य करते-करते अपनी जिंदगी को व्यस्त रखना चाहती थी। दादी का एक बेटा और एक बेटी थी बेटी की शादी करके ससुराल भेज दिया और बेटे के भी छोटी उम्र में शादी कर दी। ताकि दादी का अकेलापन कम हो जाए। दादी ...

परिवार विघटन

_आधुनिक एकल परिवार विघटन   आज हमारे सामने एक ऐसे समाज की तस्वीर सामने आती है  जहां  परिवार  और  घर जैसे शब्द विलुप्त होते जा रहें हैं ।आज की पीढ़ी में  आत्मनिर्भर बनने के साथ -साथ ,माता-पिता, भाई -बहन ,पति- पत्नी ,सभी निजी संबंधों  में  निजता की कमी  देखने को मिलती है ।आज  के समय में  अस्तित्ववाद अहम भूमिका निभा रहा है  लेकिन  अनेक विसंगतिया भी दिखाई दे रही है जैसे आजकल गाव् लड़की भी नौकरी पर जाने लगी है  जिससे पति पत्नियों के बीच  अहं की भावना के कारण दाम्पत्य जीवन  में   भी अनेक कठिनाई हो गयी है। इस   वैश्विकरण का प्रभाव सबसे ज्यादा ग्रामीण समाज पर अधिक दिखाई दे रहा है ।ग्रामीण लड़की और लडके  एक  शहरी जीवन जीते  है  जिससे उसका  परिवार और  समाज के साथ तालमेल स्थापित नही हो पाता जिससे समाज उसे   गलत तरीके से देखने लगता है  ना तो वह  शहरी बन पाता  है और ना ही  ग्रामीण । आगे बढ़ने की होड़ में  वह कुंठा से भर जाता है। जिससे पर...

Jeewan

जीवन जीवन है अनमोल रे वंदे जीवन है अनमोल। जीवन है अनमोल रे वंदे जीवन है अनमोल।। रहो हमेशा खुश रे वंदे,जीवन है अनमोल। उठो सबेरे सैर करो तुम, रोग न तुमको चाहेगा । नित्य- नियम पानी पी लेना कब्ज दूर हो जाएगा ।। हाथ धो कर भोजन करना स्वस्थ रहोगे हरदम तुम। अटर-पटर मुंह में कुछ न लेना बीमार तुरंत पड़ जाओगे।। जीवन है अनमोल रे वंदे जीवन है अनमोल। समय के साथ आगे बढ़ना, मंजिल न दूर होगा । आलस बुरी बलाई रे वंदे,हरदम याद रखना।। गिरो,उठो,संभालो,खुद को, कोई क्या कर लेगा। अगर बुलंद है जोश अपना, बाधा कुछ न कर पाएगा।। जीवन है अनमोल रे वंदे जीवन है अनमोल। रहो हमेशा सावधान प्यारे,नेकी राह अपनाना। माता- पिता-गुरुजनों से दूरी कभी न करना।। वैर कि भावना कमजोर ही करता,सत्य कि राह पर रहना। धीरज बनाए सदा तू रखना चाहत कमजोर न करना।। जीवन है अनमोल रे वंदे जीवन है अनमोल। मिलेगी सफलता, मिलेगी शोहरत, कृति होगी चारों ओर। गूंज उठेगा कोयल संग भवरे, नाचे गली- गली में मोर।। नन्द बिहारी कहता सबको दुनियां एक परिवार है। जीवन है अनमोल रे वंदे जीवन है अनमोल।। रहो हमेशा खुश रे वंदे जीवन है अनमोल। जीवन है अनमोल रे वंदे जी...

Paisa

_पैसा एक दिन मजबूरी और पैसे में तकरार हो गई मजबूरी ने पैसे से कहा मैं तुमसे बड़ी हूं क्योंकि मजबूरी में लोग कुछ भी कर सकते हैं मजबूरी में ईमानदार से भी ज्यादा ईमानदार बेईमान और बेईमान से भी ज्यादा बेईमान ईमानदार बन जाता है मजबूरी बड़ी है तो पैसे ने कहा ईमानदार लोग मेरी वजह से ईमानदार और बेईमान लोग भी मेरी वजह से बेईमान होते हैं अच्छे-अच्छो की सीयत बिगड़ जाती है मेरे सामने मुझ में इतनी ताकत है कि मैं अच्छे को बुरा और बुरे को अच्छा बना सकता हूं मेरी ताकत इतनी है कि अगर मैं चाहूं तो एक पल में सब कुछ बंद कर सकता हूं जैसे हवा के बिना सांस नहीं चलती ठीक वैसे ही मेरे बिना दुनिया नहीं चलती मैं दुनिया को उतना ही जरूरी हूं जितना जीने के लिए खाना और पानी मेरे बगैर जीने का कोई ख्याल तक नहीं कर सकता अगर दुनिया ईश्वर के बाद किसी को पूछता है तो वह मैं हूं मैं सर्वोपरि तो नहीं पर दुनिया में ईश्वर के बाद दूसरा स्थान मेरा ही है (पैसा) जहां लोग जिंदगी से हार मान जाते हैं वह मुझे देखते ही उन्हें एक नया जीवन मिल जाता है जिस काम को बड़े से बड़ा नेता भी नहीं कर सकता उसे मैं पल भर में कर देता हूं (पैस...

Jab ham padhenge

जब हम पढ़ेंगे *************************             मेरे किस्मत के सारे भाग्य खुल जायेंगे,जब हम पढ़ेंगे । जब हम पढ़ेंगे-पढ़ेंगे रोज़ पढ़ेंगे।। मेरे किस्मत के सारे भाग्य खुल जायेंगे  जब हम पढ़ेंगे।।             जब मैं पडूंगा तो हाकिम बन जाउंगा। हाकिम बन के मैं अलख जगाउंगा.।।  मेरे किस्मत के सारे ताले खुल जायेंगे,जब हम पढ़ेंगे। मेरे किस्मत के सारे भाग्य खुल जायेंगे,जब हम पढ़ेंगे।।              जब मैं पढूंगा तो डॉक्टर बन जाउंगा । डॉक्टर बनके मै सबको ईलाज करूंगा ।। मेरे किस्मत के सारे राह खुल जायेंगे जब हम पढ़ेंगे ।। मेरे किस्मत के सारे भाग्य खुल जायेंगे,जब हम पढ़ेंगे । जब हम पढ़ेंगे-पढ़ेंगे रोज़ पढ़ेंगे । मेरे किस्मत के सारे भाग्य खुल जायेंगे  जब हम पढ़ेंगे ।।              जब मैं पढूंगा तो मास्टर साहब बन जाउंगा । मास्टर साहब बनके मै सबको पढ़ाऊंगा ।। मेरे अखियां के तारे सारे खुल जायेंगे जब हम पढ़ेंगे । मेरे किस्मत के सारे भाग्य खुल जायेंगे,ज...

Badla mausam

बदला मौसम शाम का वो वक्त धीरे-धीरे ढलता हुआ वो सूरज ढलते हुए सूरज को देखकर वो गुनगुनाती हुई हवाएं धीरे-धीरे वो किरणों का छुपना एक बड़े से रेत के टिब्बे के पिछे सुरज का वो छुपना सोने कि तरह चमकती हुई वो सुनहरि रेत धीरे-धीरे सूरज ढल गया ।और रात हो गई ।पर उफ। रात तो शाम से भी ज्यादा सुहानी लग रही थी। वह बादलों पर सपनों की तरह बिखरे हुए तारे ।वह मंजिल की तरह चमकता हुआ चांद ।वह हलचल मचाने वाली धीमी धीमी जुगनू की आवाज। चांद से ज्यादा खूबसूरत वह तारों से भरा हुआ आसमान ।चांद को देखते देखते फिर सुबह हो गई। सुबह-सुबह वह ओस कि बूंद का पत्तों पर गिरना ।वह चहकती हुई चिड़िया की आवाज ।वह धीरे-धीरे सूरज की किरणों का धरती को छूना। सुबह-सुबह हवाओं का किरणों के साथ वह ठिठौली करना। फिर देखते-देखते माध्यम से सूरज का जलते हुए अंगारे में बदल जाना ।वह सुहाती हुई किरणों का कड़कती धूप में बदलना। मां के आंचल की तरह नर्मी देने वाली रेत का अंगारों में बदल जाना ।फिर वो अचानक से किरणों का आसमान को ढक लेना।। 👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet  R. K EDUCATION : ADDRE...

Chaitra Shukla

हमारा नया साल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ये नया साल हमारा नही है। हमको दिल से प्यारा नही है। ये हमारी संस्कृति नही है। ये हमारा संस्कार नही है। अभी तो जाड़े की रात है। आसमां में घना कोहरा भी। बागों में सर्द हवाएं हैं और सुनसान सड़के। फीका पड़ा है प्रकृति का आंचल। कोई गीत नही कोई अनुराग नही। हर कोई ठंड से कांप रहा है। नव वर्ष मानने का यह कोई दिन नही। चलो न कुछ दिन इंतजार करते हैं। दिल में ये ख्याल बार 2करते हैं। नए साल पर कुछ अलग हो। आज दिल दिमाग़ एक करते हैं। उमंग फीका है हर घर का। अभी तो बहार आई ही नहीं। जाड़े के दिन बीतने दो। कुछ सर्द रातें गुजरने दो। प्रकृति को यौवन चढ़ने दो। फागुन के रंग में रंगने दो। नव वधू बने प्रकृति जब प्रेम गीत सुनाएगी। हरियाली से सजी हुई धरती मां हम सबको हर्षायेंगी। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को हमारा नव वर्ष मनाया जाएगा। आर्यों का कीर्ति, गौरव सदा के लिए अमर हो जायेगा। Amrita tripathi पता ग्राम व पोस्ट नेवास जिला गोरखपुर प्रकाशित कृतियां अमृत कलश कविता संग्रहसांझा संग्रह शब्द प्रवाह पुस्तकें ऑनलाइन उपलब्ध हैं 👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 ...

Dadi

दादी से हम मिल न सके हमारी दादी बहुत अच्छी थी। हम सभी भाई बहन दादी से बहुत प्यार करते थे। मां पापा से अधिक दादी ही हमे समझती थी। उनके जैसी प्रेमी और सामाजिक महिला हमने कहीं नहीं देखा था। हमारी मां हम लोगो का उतना ध्यान नहीं दे पाती थी जितना दादी देती थीं बचपन में दादी हम लोगो के लिए हमारी जान थी पापा तो थोड़े गुस्से वाले थे। उनके गुस्से से बचाती थी। सुबह स्कूल जाना होता था घर में बहुत काम भी होते थे दादी जल्दी ही हमे उठा देती थी। हम लोग थोड़े से बड़े हुए अब दादी हम लोगो की सादी के लिए परेशान रहती थी। क्या होगा कैसे होगा ये सब घर में बहुत जिम्मेदारियां थी इसलिए हम दो बहनों की सादी दादी ने एक साथ कराई थी। और हम सब अपने ससुराल भी आ गए। सबसे अधिक कोई रोया होगा तो वह थीं हमारी दादी हम लोग भी दादी के बिना ससुराल में अच्छे से नही रह पा रहे थे जैसे ही एक माह बीता दादी न जाने क्यों हम लोगो से मिलने के लिए बहुत परेशान हो उठी बार बार दादी फोन करती थी की मिलने आ जाओ दादी की बात मानकर मेरी बहन दादी से मिलकर आ गई और मुझे भी दादी रोज फोन करके बुलाती थी लेकीन मेरे घर पर रोज रोज कोई न कोई मेहमान ...

Sikhsha

 शिक्षा हैं शेरनी का दूध* *************************************   शिक्षा वो शेरनी का दूध जो पियेगा दहारेगा। अपनी बदहाली जीवन खुशी-खुशी बितायेगा। आओ शिक्षा का संकल्प लेकर शिक्षित समाज बनाते है। आने वाले पीढ़ियों को उज्ज्वल भविष्य बनाते है। शिक्षा वो शेरनी का दूध जो पियेगा दहारेगा। शिक्षा से हीं सब कुछ होता,मानव का यह श्रृंगार है। इसके बिना जीवन अधूरा,यही तो हम सबका सूत्रधार है। आओ मिलकर शिक्षा का ज्योति जलाए,फर्ज अपना निभाना है। खाओ कसम मातृ-भूमि का हर घर तक शिक्षा पहुंचाना है। शिक्षा वो शेरनी का दूध जो पियेगा दहारेगा। शिक्षा विहीन मानव पशु,यही कलंक हैं दूर करो। नर- नारी ना रहे अब वंचित, सबकी भ्रम को दूर करो। पढ़ेगा मुन्ना बढ़ेगी मुनियां सपना भी साकार करो। अलख जगाओ भरपुर शिक्षा का   आपस में सब विचार करो। शिक्षा वो शेरनी का दूध जो पियेगा दहारेगा। चाहे लाख मुसीबत आवे पतझड़ बनके न जीना है। शिक्षा कि वारिश में भिंग कर  नये उमंग में रहना है। जो कोई शिक्षा को जाना चांद भी उसे सलाम किया। सोने वाले सोता ही रहा जागने वाले सब कुछ पा गया। शिक्षा वो शेरनी का दूध जो पिय...

Chand

चांँद *********************************** आओ करलें दीदार चांद का,चांद बहुत प्यारी है। सबके मन को लुभाती वो पुरानी कई कहानी है। जबसे देखा हूं चांद को, सपने भी साकार हुआ। दादी नानी के किस्से भी मन भावन चमत्कार हुआ।। आओ करलें दीदार चांद का,चांद न हमसे दूर हुआ। सूरत भी सूरत से बोले मुखड़ा चांद का टुकड़ा है। बड़ी सुहावन बड़ी मनभावन शीतल का अंगारा है। छाया बनकर रहते हमेशा खुशियां का गुलमोहर है। परि भी तेरे आगे आकर कहती तू निराली हैं।।  आओ करलें दीदार चांद का,चांद बहुत प्यारी है। यौवनता का रंग भरा मुझमें भी समाई है। तेरे आहट कि परछाई प्रेम कि ज्योत जलाती है।। कैसे मैं भूल जाऊं तुझको पथिक का हम साथी है। ये चांद मुस्कुराते रहना राम रहीम कि वाणी है।। आओ करलें दीदार चांद का, अजब तेरी कहानी हैं। शीतलता की पाठ पढ़ाकर सबको तू शर्माया है। रिश्ते नाते को तू ललचाकर सबमें तू समाया है।। हे चांद तुझको नमन अभिनंदन भी स्वीकार करों। नन्द बिहारी के वादें को नजर से न नजर अंदाज करो। आओ करलें दीदार चांद का,चांद को नमस्कार करों।।              नन्द बिहारी ग्राम-जमैला...

Geeta hi bhagwan he

_ गीता ही भगवान है नर जीवन में कर्मभूमि रणभूमि समान है। दिगविजयी होने के लिए गीता ही भगवान है।। भौतिकवादी भोग ने सबको दुर्योधन बनाया है। ज्ञान विज्ञान के कौशल ने धृतराष्ट सा भरमाया है।। गीता ज्ञान अपनाने में विभेद की जो माया है। दिग्भ्रमित शकुनि का, यह छल का बनाया है।। कर्म क्षेत्र में जो मानव गीता ज्ञान अपनाता है। गांधी और नरेन्द्र जैसे तर के तार जाता है।। निष्काम कर्म और समभाव गीता की मुख्य श्रुति है। उसी राह पर चल कर आज दुनिया में मोदी की तुति है।। मातृवचन से विलखते बाल को शान्ति मिलती है। त्रिताप दग्ध जान को गीता ज्ञान से मुक्ति मिलती है।। 👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet  Giridhari EDUCATION : ADDRESS :

ISRO

_ इसरो (ISRO)तुझे सलाम ************************************    हे भारत के लाल तूने कर दिया कमाल। जो न कर सकी पूरी दुनियां,तूने मचा दिया धमाल।। नमन है तुमको शत-शत मेरा, अभिनंदन भी तुमको करता हूं। तुम जिओ हजारों साल यही कामना करता हूं।। हे भारत के लाल तूने कर दिया कमाल।  सपना जो सजाया हूं वह भी करना तू पूरी। रचना है पूर्ण इतिहास मानव कि कमी पूरी।। देख रहा है केवल तुमको,बस तुम पर ही सब आश है।  कैसे मैं शुक्रियादा करूं नयन मेरा हताश हैं।। हे भारत के लाल तूने कर दिया कमाल।  गर्व है हमको सबसे पहले भारत का वासी हूं। दुनियां है मेरा परिवार उसका छोटा सिपाही हूं।। बचाऊंगा जीवन का सभ्यता,यही सोच के जीता हूं। शरीर का एक-एक कतरा हिंद को समर्पित करता हूं।। हे भारत के लाल तूने कर दिया कमाल।  जीना है तो पीना होगा,पी पी कर मुझे-तुझे जीना है। मानव का जो कर्तव्य है मुझमें, वही हमे निभाना है।। समय मिले तो बस आशीष देना,तुम अपना फर्ज निभाना। मै तो बस कोशिश करुंगा,केवल आप अपना मर्ज बताना।। हे भारत के लाल तूने कर दिया कमाल। याद आती है दादी की कहानी, चंदा मामा दूर के। नानी क...

Tamatar Bhaiya

_ टमाटर भईया हैलो टमाटर भईया सुना है मार्केट में आपके भाव बढ़ गए हैं बहुत इठलाकर कर चल रहे हैं और अहंकार भी आपका बढ़ा हुआ है सही सुना है तुमने आगे और सुनो जिनकी 50हजार सैलरी है वो मुझे 1kg लाते हैं और फ्रिज में रखकर हफ्तों चला रहे हैं जिनकी सैलरी 35हजार हैं वो मुझे आधा किलो लाते हैं और 15दिन फ्रिज में रखकर चला रहे हैं जिनकी सैलरी 25हजार है वो बेचारे 250ग्राम लाते हैं और लंच की सब्जी में डालकर ले जा रहे हैं जिससे उनका स्टेट्स बना रहे जिनकी सैलरी 20से 15हजार हैं वो तो मेरा स्वाद कुछ दिनों से भूल गए हैं दाल सब्जी बिना टमाटर के खा रहे हैं और मेरे भाव गिरने का इंतजार कर रहे हैं उनको बस ये याद है कि मैं लाल लाल दिखता हूं और खाने का स्वाद बढ़ाता हूं और आगे सुनो जिनकी सैलरी लाख रुपए होगी उनको तो कोई फर्क नहीं है मेरा भाव बढ़े या घटे वो तो मुझे आराम से खा रहे हैं समझे अच्छा टमाटर भईया हमारे घर कब आओगे चिंता न करो दिसंबर की कड़ाके की ठंडक आने दो सबके घर पर आऊंगा और सबके घर की दाल सब्जी का स्वाद बढ़ा दूंगा तब तक मुझे मार्केट में इठलाकर कर चलने दो बाय बाय Amrita tripathi P...

Chand

_ चाँद चाँदनी रात मे चाँद कि याद मे , कागज कलम लिए बैठा था मैं , सवाल था खुद से कि , क्या लिखु  और कहां से शुरूआत करू मे ? ख्वाबों से, हकिकत से, या करू पहली मुलाकात से, तेरी रेशमी बालों से या माथे कि बिंदिया  से , तेरी छोटी सी मुस्कान से या तेरे नन्हें   होठों से। तेरी मोती सी आंखों से या गुलाबी गालो से , तेरी मीठी सी आवाज से, या तेरे मोर पंख के झुमके से। तेरी मटकती चाल से या दौड़ भाग कि मस्ती से , तेरे प्यार भरे हेलो से या मखमल जैसे हाथो से। सोचता रहा , सोचता रहा, ख्यालों  मे खो गया मैं , कलम हाथ से गिर गई , कागज उड़ गया हवा मे। मेरे सपनों कि  रानी सपनों मे खो गई , ख्वाब , ख्वाब ही रह गया और नीदं टूट गई। 👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet  Neelkamal Malviya EDUCATION : ADDRESS :