हमारा नया साल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
ये नया साल हमारा नही है।
हमको दिल से प्यारा नही है।
ये हमारी संस्कृति नही है।
ये हमारा संस्कार नही है।
अभी तो जाड़े की रात है।
आसमां में घना कोहरा भी।
बागों में सर्द हवाएं हैं और सुनसान सड़के।
फीका पड़ा है प्रकृति का आंचल।
कोई गीत नही कोई अनुराग नही।
हर कोई ठंड से कांप रहा है। नव वर्ष मानने का यह कोई दिन नही।
चलो न कुछ दिन इंतजार करते हैं।
दिल में ये ख्याल बार 2करते हैं।
नए साल पर कुछ अलग हो।
आज दिल दिमाग़ एक करते हैं।
उमंग फीका है हर घर का।
अभी तो बहार आई ही नहीं।
जाड़े के दिन बीतने दो।
कुछ सर्द रातें गुजरने दो।
प्रकृति को यौवन चढ़ने दो।
फागुन के रंग में रंगने दो।
नव वधू बने प्रकृति जब प्रेम गीत सुनाएगी।
हरियाली से सजी हुई धरती मां हम सबको हर्षायेंगी।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को हमारा नव वर्ष मनाया जाएगा।
आर्यों का कीर्ति, गौरव सदा के लिए अमर हो जायेगा।
Amrita tripathi
पता
ग्राम व
पोस्ट नेवास
जिला गोरखपुर
प्रकाशित कृतियां अमृत कलश कविता संग्रहसांझा संग्रह शब्द प्रवाह पुस्तकें ऑनलाइन उपलब्ध हैं
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