_ गीता ही भगवान है
नर जीवन में कर्मभूमि रणभूमि समान है।
दिगविजयी होने के लिए गीता ही भगवान है।।
भौतिकवादी भोग ने सबको दुर्योधन बनाया है।
ज्ञान विज्ञान के कौशल ने धृतराष्ट सा भरमाया है।।
गीता ज्ञान अपनाने में विभेद की जो माया है।
दिग्भ्रमित शकुनि का, यह छल का बनाया है।।
कर्म क्षेत्र में जो मानव गीता ज्ञान अपनाता है।
गांधी और नरेन्द्र जैसे तर के तार जाता है।।
निष्काम कर्म और समभाव गीता की मुख्य श्रुति है।
उसी राह पर चल कर आज दुनिया में मोदी की तुति है।।
मातृवचन से विलखते बाल को शान्ति मिलती है।
त्रिताप दग्ध जान को गीता ज्ञान से मुक्ति मिलती है।।
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