चांँद
***********************************
आओ करलें दीदार चांद का,चांद बहुत प्यारी है।
सबके मन को लुभाती वो पुरानी कई कहानी है।
जबसे देखा हूं चांद को, सपने भी साकार हुआ।
दादी नानी के किस्से भी मन भावन चमत्कार हुआ।।
आओ करलें दीदार चांद का,चांद न हमसे दूर हुआ।
सूरत भी सूरत से बोले मुखड़ा चांद का टुकड़ा है।
बड़ी सुहावन बड़ी मनभावन शीतल का अंगारा है।
छाया बनकर रहते हमेशा खुशियां का गुलमोहर है।
परि भी तेरे आगे आकर कहती तू निराली हैं।।
आओ करलें दीदार चांद का,चांद बहुत प्यारी है।
यौवनता का रंग भरा मुझमें भी समाई है।
तेरे आहट कि परछाई प्रेम कि ज्योत जलाती है।।
कैसे मैं भूल जाऊं तुझको पथिक का हम साथी है।
ये चांद मुस्कुराते रहना राम रहीम कि वाणी है।।
आओ करलें दीदार चांद का, अजब तेरी कहानी हैं।
शीतलता की पाठ पढ़ाकर सबको तू शर्माया है।
रिश्ते नाते को तू ललचाकर सबमें तू समाया है।।
हे चांद तुझको नमन अभिनंदन भी स्वीकार करों।
नन्द बिहारी के वादें को नजर से न नजर अंदाज करो।
आओ करलें दीदार चांद का,चांद को नमस्कार करों।।
नन्द बिहारी
ग्राम-जमैला, पोस्ट-मदना
भाया-अंधराठाडी, जिला- मधुबनी,बिहार।
मोबाइल -9110183942.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
हमें बताएं आपको यह कविता कैसी लगी।