_ चाँद
चाँदनी रात मे चाँद कि याद मे,
कागज कलम लिए बैठा था मैं,
सवाल था खुद से
कि,
क्या लिखु और कहां से शुरूआत करू मे ?
ख्वाबों से, हकिकत से, या करू पहली मुलाकात से,
तेरी रेशमी
बालों से या माथे कि बिंदिया से,
तेरी छोटी सी मुस्कान
से या तेरे नन्हें होठों से।
तेरी मोती सी
आंखों से या गुलाबी गालो से,
तेरी मीठी सी
आवाज से, या तेरे मोर पंख के झुमके से।
तेरी मटकती चाल
से या दौड़ भाग कि मस्ती से,
तेरे प्यार भरे
हेलो से या मखमल जैसे हाथो से।
सोचता रहा, सोचता रहा, ख्यालों मे खो गया मैं,
कलम हाथ से गिर
गई, कागज उड़
गया हवा मे।
मेरे सपनों कि रानी सपनों मे खो गई,
ख्वाब, ख्वाब ही रह गया और नीदं टूट गई।
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