ये नारी की विवशताएं। जो चाहें सितम ढायें, चुपचाप सहती जाएं। दिल में करुण वेदना लिए, बस आह भरती जाएं। इधर कहें अपनो उजारें, उत कुल की लाज जाए। ये नारी की...................... पर घर को अपना बनाएं, प्यारा पीहर को छोड़ के। प्रीति अनजानों से लगाए, अपनों से मुख मोड़ के। जिसको समझे वो देवता,फिर हैवान क्यूं बन जाए। ये नारी की........................ पूरे समर्पण भाव से, ...
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