Written by Tamanna Kashyap, उत्तर प्रदेश, सीतापुर।
आए हैं इस जहां में,
तो कुछ कम करके जायेंगे।
हम छोटे हैं तो क्या हुआ,
मगर बड़ा नाम करके जायेंगे।
ख्वाहिशों की हमने जो पगड़ी बांधी,
बिखरी है आज रंगों के रूप में।
सच ही कहा है किसी ने,
अच्छी पहचान के लिए,
वक्त भी परिंदा बन जाता है।
अगर परिंदे बनकर,
ना उड़ सके इस गगन में,
कर्म चिन्हों की सीढ़ी लेकर,
बुलंदियों के शहजादे आसमान को छू जायेंगे।
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