चलो आज कुछ बटोर लें ।
जीवन को थोड़ा टटोल लें ,
कुछ पल के लिए बचपन जाके ।।
सारी खुशियाँ निचोड़ लें,
चलो आज कुछ बटोर लें ।।
काँच की शींशी लेकर ,
मिट्टी की छूही भरकर।
लकड़ी की तकथी घटोर लें,
चलो आज कुछ बटोर लें
जीवन को थोड़ा टटोल लें ।।
वह गेट के सामने दुकान पे जाके,
खटमिट्ठा चूरन चटोर लें
चलो आज कुछ बटोर लें
अरे बज गई घंटी छुट्टी की,
खाने को खिचड़ी कटोर
चलो आज कुछ बटोर लें ,
जीवन को थोड़ा टटोल लें ।।
बचपन से अब बड़े हो गये,
छोड़कर बचपन किशोर ले
चलो आज कुछ बटोर लें
जीवन को थोड़ा टटोल लें।।
Written by Anil kumar, अयोध्या उत्तरप्रदेश।।
Nice
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