वाह री प्रकृति तेरा कुछ जवाब नहीं,
तूने जो किया है सब कुछ सही।
रंग डाला तूने कुछ ऐसे रंगों से,
सब हरित पुष्प लता वृक्षों को,
जो कभी नहीं फीके पड़ते,
तेरे जैसी रंगत कहीं और नहीं।
वाह री प्रकृति..................
क्या खूब पंछियों को कला सिखाई,
बिना किसी उपकरण उड़ते गगन में,
दूर हों परदेशी जा खत पहुंचाए वहीं।
वाह री प्रकृति...................
ऐसी खुशबू डाली रंग बिरंगे फूलों में,
कुछ यूं ही उतर जाती सबके दिलों में,
महसूस करते बयां कर सकते नहीं।
वाह री प्रकृति.....................
Written by Tamanna Kashyap
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