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फ़रवरी, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Bhool

  भूल प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में विभिन्न परिस्थितियों से गुजरता है। कुछ चीजें ऐसी होती है, जो हमारे जीवन में हानिकारक होती है। उनसे हमें सावधान रहने की जरूरत है।  बुद्धिमान पुरुष कोई भी समस्या हो उस पर सोच विचारकर ही असका हल निकालता है और  परिस्थिति को देखकर  घबराते नहीं हैं।  कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं , जो बिना सोचे समझे किसी भी बात का निर्णण ले लेते हैं । जो उनके खुद के लिए ब दूसरों के लिए हानिकारक  सिद्ध होता है। कभी कभी ऐसा होता है , कि हम दूसरों के बहकावे में आकर या किसी भी चीज को देखकर हम किसी भी व्यक्ति के विषय में  गलत धारणा बना लेते हैं। हमारे मन व मस्तिष्क में बस वही बातें  हमेशा चलती रहती है, लेकिन हम क्या करते है ? हम सत्य को जानने का प्रयास न करते हुए बस उन्ही बातों में उलझे रहते हैं । ऐसे मे प्रकाशमान होते हुए भी उम अहंकार मे जीते है । "क्रोध पाप का आवाहन करता है" । गुस्से में आकर न जाने क्या कर बैठते हैं ।   वो कार्य कर डालते हैं, जिसे करने के  लिए  हमारा मन तैयार नहीं होता फिर बाद में यह कहते हैं ...

Mere dil ki baat

मेरे दिल की बात एहसास खुशी का होता है थोड़ा,            तो दिल को बड़ा सुकून मिलता है हमारे।  ‎ मुश्किलें आसान होती है थोड़ी,            ‎ तो दिल को बड़ा आराम मिलता है हमारे ‎ आई मुस्कुराहट अपनों के चेहरे पर थोड़ी,           ‎ तो खुशी से झूम लेने का दिल करता है हमारा।  हो आया कितना बड़ा भी तूफान,          ‎ हिम्मत नहीं टूटती जब अपनों का साथ हो। ‎  दिल में खुशी की लहर उठती है हमारे ,            ‎ जब कोई अपना कहता है परेशान ना हो मैं हूं ।  ‎हौसले भी बुलंद हो जाते हैं हमारे,  ‎            जब कंधा किसी अपने ने दिया हो हमें।  ‎ खुद को जन्नत पाने का एहसास होता है,               ‎ जब सर पर हमारे अपनों का हाथ हो।  Poet Rinkikashi Naresh yadav EDUCATION :   B. Sc, 2nd year From : Ramnagar, Meja,    ...

Nirasha me asha

निराशा मे आशा सफलता की राह में,  पुनः निराश हो गए हैं हम ।  सागर के किनारे पहुंँचकर,  फिर से प्यासे रह गए हैं हम | धुंधला - धुंधला है ये जमी आसमान  लगता है जैसे अधेरों में खो गए हैं हम।  पर अपने की आशाओं पर  खरा उतरने के लिए - - - - - - - - हमको चलना ही होगा,  दोगुने जोर हमको लड़ना ही होगा।  लोगों के प्रश्नोतर झेलने के लिए ,  हमको पढ़ना ही होगा।  घोर अंधकार में एक किरण आशा की , खोजना ही होगा ,चलना ही होगा |  किस्मत के पंजो से सफलता , छीनना ही होगा, हमको लड़ना ही होगा | Poet Vartika Dubey Education ~~ Ma ,B.ed  from Allahabad university Address~~ Phulpur prayagraj वर्तिका दुबे एक ओजस्वी कवित्री है। इनके द्वारा तू चल जैसी प्रेरणादायक कविता लिखी गई है। जिसके लिए इनको हमारी कविता द्वारा प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया है। Publisher Om Tripathi Contact No. 9302115955 आप भी अगर साहित्य उत्थान के इस प्रयास में अपनी मदद देना चाहते हैं तो UPI ID. 9302115955@paytm पर अपन...

Aya falgun

 आया फाल्गुन मन में सुशी की चाह उमड़ी ,               गलियों मे बहार।  माह फाल्गुन का लाया,             रंगों का त्योहार  ।  इधर- उधर रंग बिखरें ,        जैसे कलियों पर धूप।  है प्रसन्न चित देखकर,          होली का यह रुप  ।  रंग मे अंग सिमट गयो,     गाल गुलाल की लाली ।  पग में पायल बाँध के ,          झूमें हर मतवाली । दिल से दिल मिलने का ,  आया मौसम बड़ा सुहाना।  भूलक सारे शिकवे,         सबको गले लगाना ।  रुप खिले तन- मन खिले,          साजन जायें रीझ ।  प्रेम को रंग न फीका पडे,      सबसे करलो ऐसी प्रीति।  कनकमयी इस धरती पर,       होली खेले मदन मुरार ।  रंग में जिसके डूबके,      आज  झूमे सारा संसार ।  Poet Tamanna Kashyap ...

Basant ki bahar

बसन्त की बहार  "खिली-खिली सी धूप, खेतों में हरियाली ,  नवीन सुमन पल्लव पर जैसे बिखर गई हो लाली ।" बीती शिशिर ऋतू आई पतझण बसंत बहार ,  आओ ! री सखियों मिलकर गायें मंगलाचार।  बागों में फूली हर डाली,  मन को भाय रही हरियाली,  बरसे कुसुम चटक गई कलियाँ,  महक उठीं कुंजन की गलियाँ।    तरुवर लगी मंजरियों पर कोयल की गुहार।  बीती- - - - - - - - -   लागन लगी सुहानी छाया,  चहुँ दिशि छाई ईश्वर की माया, है कल्पनाओं में खोया मन,  स्वर्ग उतर धरती पर आया,    मानों नवीन प्रकृति ने फिर से किये सोलह श्रृंगार ।  बीती -- - - - - - - - - Poet Tamanna Kashyap EDUCATION - B.A, B.T.C Rajaparapur,Sitarpur,(U.P) Publisher Om Tripathi Contact No. 9302115955 आप भी अगर साहित्य उत्थान के इस प्रयास में अपनी मदद देना चाहते हैं तो UPI ID. 9302115955@paytm पर अपनी इच्छा अनुसार राशि प्रदान कर सकते हैं। Social Site Manager Shourya Paroha अगर आप अपनी कविता प्रकाशित करवाना चाहत...

Motivation poem in hindi short

दिल की यही फरमाइश  दिल की यही फरमाइश है हमारी............। काम ऐसा करू कि ,  फक्र से सिर ऊंचा हो मां बाप का ।  कदम ऐसे बढ़ाओ की,   ‎ अपनों का सहारा बन जाऊं।  हर सफलता पर नाम रचाऊ ऐसा,  ‎ कि सबके लिए उदाहरण बन जाऊ। खुद में इतना व्यस्त हो जाऊं, किसी से शिकायत मिलने का मौका ना मिले ।  खुद के शहर में इतना विलीन हो जाऊं,  ‎ कि किसी के खोने का डर ना हो । खुद की खुशी में इतना खो जाऊं , किसी को दुख देने की फुर्सत ना मिले ।  खुद में इतनी हिम्मत हो जाए ,  ‎ कि किसी के सहारे की जरूरत ना हो हमको।  ‎ दिल की यही फरमाइश है हमारी..........। Written by Rinkikashi Naresh Yadav Ramnagar, Meja , Prayagraaj, (U.P) अगर आप रिंकीकाशी नरेश यादव को धनराशि देकर सम्मानित करना चाहते हैं तो UPI id ( rinki2025@okicici ) पर आप भुगतान कर सकते हैं। Posted by Om Tripathi पद - 'Hamari Kavita' वेबसाइट के प्रकाशक। 👉अगर आप अपनी कविता या कहानी प्रकाशित करवाना चाहते हैं तो आप व्हाट्सएप नंबर 9302115955...

janamdin par kavita in hindi

* जन्मदिन मुबारक हो तुमको जन्मदिन तुम्हारा,  सदा तुम बनो अपने माता -पिता का सहारा । कोई भी गम तुम्हें कभी छू न पाए |  बिन मांगे ही तुम को सब कुछ मिल जाए। करो काम अच्छा चुनो सही राह तुम |  करो हमेशा ऊँचा अपने माता- पिता का नाम तुम।  बनो अच्छा इन्सान रहो सबसे आगे ।  सफलता हमेशा तुम्हारे पीछे भागे | भविष्य रहे उज्ज्वल हो दीर्घायु तुम ।  ईश्वर का सबसे अच्छा उपहार हो तुम । माँ तुमने कहा तो जीवन पूर्ण हुआ हमारा |  मुबारक हो तुमको जन्मदिन तुम्हारा । for css Written by Vartika Dubey Prayagraaj, (U.P) Posted by Om Tripathi

pyar poem in hindi

*   एक लड़की थी एक लड़की थी क्लास में,  जिसे सब देखा करते थे,   पर रहते हुए हमारे कोई उससे,  कुछ कह भी नहीं सकते थे।   जिस्म की कोई चाह नहीं थी,  बस उसकी सूरत पर हम मरते थे।   कोशिश तो की बहुत पर , हम भी पीछे रह जाते थे।   बयां नहीं कर सकते जुबा से,  क्योंकि दिल में उसे बसा ते थे।   कोई बहाना नहीं होता था बात करने का , इसलिए सिर्फ कॉपी मांगने की सोच लिया करते थे ।  पर कमीने थे मेरे दोस्त उससे मांगने से पहले,  अपनी कॉपी दे दिया करते थे।  लिखते तो कभी नहीं पर,  देख कर ही वापस कर दिया करते थे।  कास पा सकते हैं हम उसको पर,  यह बात तो बिल्कुल ही नामुमकिन थी।  उसे हंसाते का मौका ढूँढा करता था,  मैं और वह खुद ही हस लिया करती थी।   सोचते तो यह कि नहीं देखेंगे उस तरफ ,  पर मेरी निगाहे ही मुझे धोखा दे दिया करती थी।   शायद होगा उसकी नजर में कोई और , इसलिए मुझे बेकार समझा करती थी।   फिर भी उसके हंसते हुए चेहरे को,  देखकर मेरी तो ...

pyar ki kahani in hindi

प्यार का एहसास अजनबी इस जिंदगी में ,आता है कोई खास।   ये दिल जब कहीं न लगे तो ,इसे समझो प्यार का एहसास॥ जब हम छोटे होते हैं, तो हमारा मन और जीवन अपनों तक ही सीमित होता है। अपने कालेज टाइम में मित्र हमारे जीवन का हिस्सा बनते हैं।  उन सबके बीच भी हमें एक  अनुभव प्राप्त होता है। हम बड़े हो जाते हैं । हम उन से सीखते हैं और उन को गहराई से समझने भी लगते हैं । हमरे विचार गंभीर व खुल जाते हैं । एक अजीब सा अहसास नाम है जिसका प्यार। जी हां दोस्तों एक ऐसा समय आता है जब हम युवावस्था में प्रवेश करते  है। तब हमारे शरीर में एक नयी स्फूर्ति आती है, और हमें सारे नजारे नवीन लगने लगते हैं।  आंखों में कई ख्वाब सजने लगते है। पता नही ऐसा क्यों लगता है कि जैसे इस मन को किसी  की तलाश हो । या फिर दिल किसी के इंतजर में हो।  सबसे सच्ची बात तो यह है कि जब किसी हमसफर का हमारे जीवन में आगमन होता है; तो  हमारी दुनिया ही बदल जाती है। ऐसा लगता है कि कोई चुम्बक की भाँती हमें  खींच रहा है। वो लम्हा हमारे करीब ही होता है, जिसमें हम जीना शुरू कर देते है।  कभी-कभी तो हम उन च...

nari par kavita

nari par kavita नारी देश का स्वाभिमान प्रकृति का उपहार है ये,  मर्यादाओं की है आन , ममता की मूरत है वो ।  नारी देश का स्वाभिमान । पग रखे जिस भवन में, बन जाये मंदिर के समान  वनिता की महिमा वेदों ने कही,  नारी गृहलक्ष्मी का वरदान । नारी- - - - - - - - - करती कुलों को उजागर ये, दीपक में ज्योति के समान,  सौन्दर्य प्रतिमा का स्वरूप,  गुणों से है जिसकी पहचान ।  नारी देश- - - - - - - त्याग और बलिदान की है स्वामिनी,  समाज में जिसकी ऊँची शान, धन्य है ये धरा जिससे,  उस नारी को शत-शत प्रणाम।  नारी देश- - - - - - - और कविता पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें Written by Tamanna Kashyap Rajparapur, Sitarpur (U.P)  Posted by Om Tripathi

प्रेम

  प्रेम की तारीखों में न करें सीमित |  प्रेम की परिधि है असीमित ।  प्रेम से निर्मित है ये सारा संसार ।  प्रेम विहीन जीवन निराधार।  प्रेम यदि देश से हो व्यक्ति हो जाए अमर।  प्रेम यदि साथ दे जीत ले हर समर । प्रेम लेने का नही देने का है नाम ।  प्रेन में जीत नहीं हार से विश्राम ।  प्रेम माँ का है तो हम सबसे धनवान।   स्वार्थी प्रेम हेतु न करे उनका अपमान |  पति-पत्नी का प्रेम जीवन भर का साथ ।  यदि तो चले गाड़ी के दो पहियों की भांति । Written by Vartika Dubey   Phulpur prayagraaj, U.P Posted by Om Tripathi

शीत की घड़ी

  डोले  पछुआ की बयरिया  आयी शीत की घड़ी                  भोर भये जब पक्षीं बोले                  सब जग-जन निज नैना खोलें                  कर  जोरि  प्रणाम करहुँ दिनकर                   निशि तिमिर दूर आतप पाकर ओस बिन्दु फसलों पर गिरके ऐसे चमके जैसे नीलमणि डोले पछुआ - - - - - - - -  आयी- - - - - - - - -                      आयी मधुर बेला रजनी की                    मन रही लुभाय दीप्ती चांँदनी की                   प्रकाशमान तारों से अम्बर                    लगे खूब मनमोहक सुन्दर झिलमिल झलकारी जुगनू की जैसे हीरों का झड़ी डोले पछुआ - - - - - - - -  आयी- - - - - - - - - ...

बेबसी और बदलाव

जानते हैं आप, रूठने की आदत नहीं अब मुझे रोकर बात मनवाने की बात अब नहीं रहीं |  नखरे करना भूल गई हूं, अब वक्त बेवक्त फरमाइशों की आदत भी चली गई। नहीं करती इंतजार किसी तोहफे का बे सबब मुस्कुराना भी सीख लिया है मैंने। कर लेती हूं बात अब हर किसी से डरना घबराना छोड़ दिया है मैंने। अच्छी बन तो रही हूं,क्या आपके खुदा के लिए, काफी है इतना या बाकी है और सताना मुझे। उनसे कह दीजिए कि अब लौटा दें आपको अब, कुछ मांगने की आदत भी उनसे, छोड़ दी है मैंने।    Written by Seema Dwivedi Posted by           Shouray Paroha

बेटी हूँ मैं

  कौन हूँ मैं, क्या हूँ मैं,  यही सवाल करती हूँ। लड़की हो लाचार बेचारी  यही जवाब सुनती हूँ मैं,  बड़ी हुई जब समाज  की रस्मों को पहचाना अपने सवाल का जवाब    खुद में ही पाया।  लाचार नहीं मजबूर नही  एक धधकती चिंगारी हूँ,  छेड़ो मत जल जाओगे     दुर्गा हूँ काली हूँ,  स्त्री के सब रूपों में,  सबसे प्यारा रूप हूँ मैं   जिसको माँ ने बड़े प्यार से पाला        वो फूल हूँ मैं।  उस मां की बेटी हूँ मैं।         बेटी हूँ मैं। Written by Vartika Dubey Phulpur, Prayagraaj Posted by Om Tripathi

Maa par kavita

    मेरी माँ थी मेरी शक्ति, मेरी माँ मेरा प्यार।  मेरी माँ थी मेरी आशा, मेरी माँ जीवन आधार।  मेरी माँ थी मेरी इच्छा, मेरी माँ मेरा अधिकार।  मेरी माँ थी मेरा जीवन, मेरी माँ स्वप्न साकार।  मेरी माँ मेरी परिभाषा, मेरी माँ मेरे संस्कार।  मेरी माँ मेरी शिक्षक, मेरी माँ मेरी मनुहार।  बिन माँ के बिना मेरा जीवन, बना घोर अंधकार। फिर एक बार तुम आओ माँ,  मुझको राह दिखाओ माँ।  बचपन के उस भय को भगाकर,  उंगली पकड़ चलाओ माँ।  जीवन के इस सूनेपन को,  अपनी लोरी से बहलाओ माँ।  फिर एक बार तुम आओ माँ आओ माँ,  मुझको गले से लगाओ माँ।। Written by Vartika Dubey Posted by Om Tripathi

पैरों में पायल

  पैरों में पायल बंधी,                 लगा महावर अंग। मेहंदी ऐसे सज रही,               मानो सजे अनंग।। कदमताल हिरणी सदृष्य,              गज सममंथर चाल।  नागिन सम लहरा चले,            देख ठहर जाए काल।। नयन झुके पलकें तंद्रिल,                 कंपन अधरों मध्य। अलकों से मुक्ता झरे,                   गौरी स्नाता सध्य।। सूर्योदय सम लालिमा,                  लज्जा रक्त कपोल। पिया मिलन की सोचकर,                  हिय में उठी हलोल।। क्षीण कटि उतंग उरोज,                  अलकें पलकें स्याह। यौवन भार हल्का करे,              प्रेम का अमित उछाह।। अयि ललना कछु धीर धरो,        ...