* एक लड़की थी
एक लड़की थी क्लास में,
जिसे सब देखा करते थे,
पर रहते हुए हमारे कोई उससे,
कुछ कह भी नहीं सकते थे।
जिस्म की कोई चाह नहीं थी,
बस उसकी सूरत पर हम मरते थे।
कोशिश तो की बहुत पर ,
हम भी पीछे रह जाते थे।
बयां नहीं कर सकते जुबा से,
क्योंकि दिल में उसे बसा ते थे।
कोई बहाना नहीं होता था बात करने का ,
इसलिए सिर्फ कॉपी मांगने की सोच लिया करते थे ।
पर कमीने थे मेरे दोस्त उससे मांगने से पहले,
अपनी कॉपी दे दिया करते थे।
लिखते तो कभी नहीं पर,
देख कर ही वापस कर दिया करते थे।
कास पा सकते हैं हम उसको पर,
यह बात तो बिल्कुल ही नामुमकिन थी।
उसे हंसाते का मौका ढूँढा करता था,
मैं और वह खुद ही हस लिया करती थी।
सोचते तो यह कि नहीं देखेंगे उस तरफ ,
पर मेरी निगाहे ही मुझे धोखा दे दिया करती थी।
शायद होगा उसकी नजर में कोई और ,
इसलिए मुझे बेकार समझा करती थी।
फिर भी उसके हंसते हुए चेहरे को,
देखकर मेरी तो जान ही निकल जाती थी।
हिम्मत तो नहीं पड़ती थी उससे जाकर सामने बात करने की,
पर फिर भी हम व्हाट्सएप पर कर लिया करते थे॥
वाह मेरे दोस्त
जवाब देंहटाएं