प्यार का एहसास
अजनबी इस जिंदगी में ,आता है कोई खास।
ये दिल जब कहीं न लगे तो ,इसे समझो प्यार का एहसास॥
जब हम छोटे होते हैं, तो हमारा मन और जीवन अपनों तक ही सीमित होता है। अपने कालेज टाइम में मित्र हमारे जीवन का हिस्सा बनते हैं। उन सबके बीच भी हमें एक अनुभव प्राप्त होता है। हम बड़े हो जाते हैं । हम उन से सीखते हैं और उन को गहराई से समझने भी लगते हैं । हमरे विचार गंभीर व खुल जाते हैं । एक अजीब सा अहसास नाम है जिसका प्यार। जी हां दोस्तों एक ऐसा समय आता है जब हम युवावस्था में प्रवेश करते है। तब हमारे शरीर में एक नयी स्फूर्ति आती है, और हमें सारे नजारे नवीन लगने लगते हैं। आंखों में कई ख्वाब सजने लगते है। पता नही ऐसा क्यों लगता है कि जैसे इस मन को किसी की तलाश हो । या फिर दिल किसी के इंतजर में हो। सबसे सच्ची बात तो यह है कि जब किसी हमसफर का हमारे जीवन में आगमन होता है; तो हमारी दुनिया ही बदल जाती है। ऐसा लगता है कि कोई चुम्बक की भाँती हमें खींच रहा है। वो लम्हा हमारे करीब ही होता है, जिसमें हम जीना शुरू कर देते है। कभी-कभी तो हम उन चीजों को को समझ ही नहीं पाते , लेकिन जब किसी को हमारी फिक्र होने लगती है ;तब उस प्यार का एहसास हो ही जाता है। इसीके बाद सब कुछ स्पष्ट परिलक्षित होने लगाता है। सीपी को अपने अन्दर मोती बनने के लिए उस नक्षत्र के बारिश की एक बूंद का इंतजार होता है ;ठीक उसी प्रकार उस सुन्दर एहसास के लिए इस मन को किसी का आधार बनना पड़ता है । सूर्य की करणों से आने वाले प्रकाश उठती हुई लहरों पर जब पड़ता है; तब सागर को भी इन लहरों से प्रेम हो जाता है । इस तरह दिल में कोई उतर जाता है,तो उसकी हर एक अदा मनमोहक लगने लगती है। जैसे तारों के समूह में चांद का अपना एक अलग अभिनय होता है । वैसे ही ये नजरें उसी शख्स पर जा टिकती है। एक कली काँटों के हि बीच में होती है, पर उसे तो पता ही होता है कि फूल बन कर खिलना है। लेकिन यह भी सत्य है काँटे डाली से अलग नहीं होते। हमें उसकी नराजगी व गैरनराजगी होने से ही प्यार हो जाता है। क्योंकि ये दोनो चीजें भी इन्ही काँटों की तरह होती हैं । जिन्हें हम अपने जीवन का हिस्सा बना लेते है। उस मनमीत का नाम सुनते ही हमारे अधर कली की भांति खिलकर मुस्कुरा उठते हैं। जब किसी से सच्चा प्रेम हो जाता है , तो अन्य किसी की चाह नहीं रहती । भक्त को भी भगवान से सच्चा प्रेम हो जाए तो उसे यह सारा जगत कोरे कागज के समान दिखने लगता है। ये एहसास बडा़ ही गजब होता हैं । दो अजनबी आत्माओं का मिलन करवाता है । प्यार का ये एहसास॥
इस दिल को जिसकी चाहत थी , वो चाहत थे तुम।
कुसूर इन आंखों का था, जो तुम्हे हम समझ न पाये ॥
Written by
Tamanna Kashyap
Rajaparapur, Sitarpur,
(U. P)
Posted by
Om Tripathi
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