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अप्रैल, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Ek Khwab

_  एक ख़्वाब ऊंचे से एक ख्वाब लेकर, उड़ा जो एक पंछी गगन रोक ले उसको भंवर, छू न पाए वह गगन तुझको जो न मंज़िल मिली, उसे ही क्यों गगन मिले दुनियां ने जब यही किया, तू ही क्यों ऐसा न करे तुझको क्या है पड़ी किसी की, तू तो है रखवाला कुल का उड़ना चाहा सबसे ऊंचा, दिया हौसला सबने झूठा बोला बढ़ो हम साथ तुम्हारे, सुना जो मैने बिना विचारे देख हौसला उम्मीद जगी, मैं तो पूरे दम से उड़ी देख ऊंचाई पर मुझको, हुआ अचानक भ्रम उनको भूल गए वे अपनापन,दिखा उन्हें बस अपना मन पीछे से फिर वार किया,पंख मेरा बेकार किया अभी-अभी जो बने थे अपने, वो तो सारे निकले सपने उड़ी थी जिस जोश से, गिरी उसी अफ़सोस में घाव गए निशान पड़े थे, सामने झूठे इन्सान खड़े थें फिर बोले एक बुरा सपना मानो, अब उड़ने की जिद न ठानो पंख बिना कैसे उड़ पाओगी, अब न गगन को छू पाओगी मिलती है हर किसी को सीख, छोड़कर जाता जो लीक पहिए के आगे जो जाता,लीक में दबकर नष्ट हो जाता बहुत हुआ अब चुप हो जाओ,मैने कहा अब मैं बहकाओ क्यों कहते हो कर न सकूंगी,अब करो सामना न दब के रहुंगी खड़ी हुई और ध्यान किया, अवरोधों का न मन किया हिम्मत का धागा बनाकर,पंखों को...

Man ki bhasha

_ मन की भाषा कितना सुंदर है मौन भाव, जो हर लेता सकल निराशा। कथनी से जो न कह पाते, वह कह देती मन की भाषा। फुलवारी में राम सिया का, अनायास ही दर्श हुआ था। दोनों ने कुछ नहीं कहा पर, नयनों का स्पर्श हुआ था। जिह्वा एक अक्षर न बोली, मुस्कान ने ही सब कह डाला। प्रसन्न सिया ने पहनाया, रह मौन राम को वर माला। अधरों ने हलचल नहीं किया, पर हुई पूर्ण हिय की आशा। कथनी से जो न कह पाये, वह कह देती मन की भाषा। कभी पुष्प कहां बतियाते है, अनुराग की लय में हैं गाते। जब चले पवन नर्तन करते, बिन बोले ही सब कह जाते। निःशब्द हो रंग बिखेरे हैं, भाषा के कुशल चितेरे हैं। निज रूप गन्ध की बोली में, नीरवपन कर देते खासा। कथनी से जो न कह पाये, वह कह देती मन की भाषा। शशि कहाँ कभी कुछ कहता है, हमजोली बन संग रहता है। विहँसो तो वह भी हंसता है, जैसी लय वैसे बहता है। बिन कहे सन्देश सुना देता, प्रियसी को भी बहला लेता। चंदा चकोर से बिन बोले, पूरी कर देता अभिलाषा। कथनी से जो न कह पाये, वह कह देती मन की भाषा। किसी श्वान ने न कभी बात कही, पर स्वामी से सब कहा सही। कभी लोट पोट हो जाता है, खुश हो कर पूँछ हिलाता है। है सहलाता पैर...

Chala chalta gya

__ चला चलता गया वक्त संग वह चलता गया, सदियों से चला रुकता नहीं जानें कहां जाना उसे, चलता रहा कुछ कहता नहीं मंज़िल कहां किस मोड़ पर,चलता रहा कुछ पता नहीं दुनियां बदली वह भी बदला, उसी राह चला बदलता गया कायम उसकी मंशा जो रही, चलता रहा फिर रुकता नहीं डर से नहीं डरता कभी, चलता रहा लिए हिम्मत वही मुश्किलों में आगे बढ़ता रहा, चलता रहा न रुकता कहीं आशा की मशाल हाथ लिए, सदियों से चला थकता नहीं उम्मीद भरी उसकी आंखों में, चलता रहा न सन्देह कभी मंजिल मिलेगी कुछ रातों में, चलता गया हिम्मत खोता नहीं जानें कितने सैलाब आए गए, टूटती उसकी दृढ़ता नहीं तैर कर उस पार गया, तैरता रहा  न डूबता कहीं मैल धुलें मंशा न गई,विश्वास लिए चला चलता गया दृढ़ जो उसका संकल्प रहा, चलता रहा फिर रुकता नहीं तय करनी है लंबी दूरी, चलना है अब रुकना नहीं सपनों के धागे हाथों में है, चलना है न छोड़ना कभी भ्रम में पड़ी दुनिया अभी, चलता रहा न रुकता कहीं कबसे चला वह रुकेगा कब, चलता रहा वह चलेगा अब रोकने से न वह रुकेगा अब, मयाजलों में न फसेगा अब है सच्चा राही उसने ठान लिया, अब तो दुनिया ने भी मान लिया विश्वास रहा मंज़िल मिली, ...

Never Accept Suicide

_  Never Accept Suicide People say the night of gloom is too long Everyone in life face the night same once in strong Many faces this gloomy among many more Like me many face this gloomy night often in roar Worry may be cause of this heart restlessness Mental tensions may be not ignore We face the situation in many ways Many live life in tension and some suicide in crazy None knows what the correct way to face In partially people say suicide should every condition ignore Ending the life is not wisdom, we should leave the place and people Save life first after that the rules and relationships of society When the sorrow ness on the highest point in life Leave everything which in your neighborhood ,do what your Haunted wish I remember the man he had a toothache He beats his legs in full might  This the way he forgets the toothache tight If we want make a line small We should draw a long line same place If we have unbearable sorrow We should not suicide but creat something...

To a mother

_  To a mother Mother is second name of god He will not reach everyone at every time He creates a mother in His form Full of compassion and full of love Her is all earthly things above She is boon for her offspring She can ready to sacrifices her everything All love is not pure before mother's love She loves her offspring all earthly things above In her love a unique feel She makes a offspring with love zeal With her own breast she feeds Every problems she soon realised A love is hidden in her chide To face the world with path right She always gives her best to nourish She is cares and keeps away offspring worries She plays with offspring as her toy She never makes a difference in girl or boy 👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet Vijay Pal EDUCATION : ADDRESS :B 25 Ghazipur Village Delhi Publisher Om Tripathi Contact No. 9302115955 आप भी अगर साहित्य उत्थान के इस प्रयास में अपनी मदद देना चाहते हैं तो UPI ID. 9302115...

Safed Jaal

 ✍🏻  सफेद जाल एक भूरा-कला बीज,मिट्टी में दबकर अंकुरित हुआ एक नन्हा पौधा बनकर बाहर आया भूप - पानी सोखकर बड़ा हुआ, घनी - चौड़ी पत्तियों से सज कर, मोटे तने वाला लंबा पेड़ बना, हंसते -मुस्कुराते ढेरों फूल लगे, सूखकर गिरे तो सुनहरे फल आए, हरे - पीले रंगों में बढ़ने लगे और लगातार पक कर गिर गए, चार मौसम तक दोहराने के बाद वही चौड़ी - घनी पत्तियां,  चमकते फूल और सुनहरे फल आते रहे, मगर इस बार फूल सूखकर गिरे पर,फल पीले नहीं हुए, उन पर सफ़ेद कीड़ों ने जाल फैलाना शुरू किया और फल छोटे ही रह गए,पीले होकर गिरे नहीं, तब तक सफेद ही थे, जब तक लालचवश किसी ने उन्हें तोड़ा नहीं, इस बार उन्हें खाया नहीं गया,फल पीला नहीं सफेद जो था, पीले फल की लालच में सफेद कीड़ों पर पिचकारी से दवा मारी गई, फल नीचे गिरें मगर उन्हें खाया नहीं गया, आज भी शुरू से वही प्रक्रिया होती है मगर फल पक कर गिरते नहीं है,  उन्हे सफेदी जकड़ लेती है,जो फल को बढ़ कर, पीला होकर  गिरने नहीं देती है, अफ़सोस तो इस बात का है की वो दवा आज भी इतनी कामगर नही है कि उन फलों की सफेदी हटा सके, जिससे वे फल पककर खाने योग्य...

Mother's love

  Mother's Love Mother's give us generous love, Mother's care us like a dove, She  solves the questions like a teacher, She teaches me English like a scripter. Mother erases my tears, My problems she always hears My first teacher is my mother, She loves me and my brother. Only my mom understands my feelings, And always give ideas in my dealings, She is a part and parcel in my learning And translate to me lives meanings, The day I fall and become sad, She lifts me to make me  glad  She gives my favourite  thing what she had , She prepares delicious dish along with dad. Organizes party secretly on birthday, I feel very proud happy that day, She arranged all things what I say, She taught my infant lips to pray. My mother is more than a friend- Has much time for me  to spent , In my sorrow,she will weep When wake ,she cannot sleep. 👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet Shiv Shankar Maurya EDUCATION : ADDRESS :Badhuni urf Shivp...

An Elegy to My Father

_An Elegy to My Father  Bless ,bless ,bless my heart What a misfortune comes to my life cart A shire is like an umbrella in life sunshine He left me alone to fight with miseries numberless kinds O, heartbeats please stop ,look at cot Where my shire kept fallen like a corpse knot O, money what thy evil trapping with poor With many tremendous sources of earnings Like me many poor only hear burning  O,money ,look my father is died without medicine No money , no medicine , really I on edge of ruin O, relatives ,come and look on cot Where my father laid fainted Look,look the might hand and fist  With thease fingers cought my wrist Look at these feet now numb with dead With these I learnt how to steps first O, poverty I never curse you  Only the companion of bad days From childhood you grew with me You make my life full of miseries I never hate you only caretaker of my family too Parents go weak day by day and suffered with fatal disease None come to support and se...

Mewadi Rano

 _ ।। मेवाड़ी राणो ।। युद्ध पड़े तो तराइन पड़े। देश ने घाटे मे ले पड़े। खाॅनो रे खोंचोडी सांगा रे गले मे आ पड़े। अस्सी घावो रो सुरमो वीरता पुर्वक लड़ पड़े। बाबर रा गोला टूट पड़े। कवि बैठोड़ा के पड़े - अबके पार नी पड़े। सांगा रो दिलडो टूट पड़े। राणो मन ही मन रो पड़े। युद्ध री हार ने देख झाल्लो अज्जो कूद पड़े। राणे ने युद्ध हूँ, बार करे| झाल्लो वीरता पूर्वक लड़ पड़े। पर अबके पार नी पड़े।  बाबरडो भारत ने गुलाम करें।Bodana, Jaisalmer, Rajasthan    👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet Devendra Kumar EDUCATION : ADDRESS :Bodana, Jaisalmer, Rajasthan Publisher Om Tripathi Contact No. 9302115955 आप भी अगर साहित्य उत्थान के इस प्रयास में अपनी मदद देना चाहते हैं तो UPI ID. 9302115955@paytm पर अपनी इच्छा अनुसार राशि प्रदान कर सकते हैं। Social Media Manager Shourya Paroha अगर आप अपनी कविता प्रकाशित करवाना चाहते हैं तो आप व्हाट्सएप नंबर 7771803918 पर संपर्क करें।

Titli

_तितली   इक तितली है जो फूलों पर।                                                बचपन खुश है झूलो पर।                                                 इक शाम जो बैठी मां के पास।                                          लेकर अपना टूटा विश्वास ।                                               नम होकर फिर आंखे बोली ।                                           मानो तनिक सी हवा भी डोली ।        ...

Kaner ke phool

_कनेर के फूल  मै जब भी कनेर को देखती हूँ उसके श्वेत फूलों को निहारती हूँ कई कल्पनाएँ मेरे मानसपटल पर                  उतर आती हैं लगता है कि कनेर की डाल कोई येगिनी है सफेद साड़ी मेंअवगुंठित कर तन को         योग साधे खड़ी है तन साधे है मन बाँधे है सफेद फूलों के धागे से लेकिन लगता है कि धागे कच्चे हैं                 टूट जायेंगे उसके मन के मोती बिखर जायेंगे किन्तु नही     उसने तो श्वेत रंग को जीवन में उतार दिया है       वह तो निर्विकारी हो गयी है योगिनी,तपस्विनी,मनोहारिनी हो गयी है वह तो अपने आत्म रस में खो गयी है आत्म रस में खोगयी है,खो गयी है। 👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet Dr. Abha Maheshwari EDUCATION : ADDRESS :Aligarh, U. P Publisher Om Tripathi Contact No. 9302115955 आप भी अगर साहित्य उत्थान के इस प्रयास में अपनी मदद देना चाहते हैं तो UPI ID. 9302115955@paytm पर अपनी इच्छा अनु...

Mat Poochh

_ मत पूछ घाव पुराना था रक्त ने बहना छोड़ दिया, आंख फिर भी नम थी आंसुओं का ठिकाना न रहा। दर्द आज भी था धड़कनों ने हिसाब ले रखा था, फिर अचानक आवाज आई कही किसी ओर से। बोल क्या तेरे कर्मों की सजा यही है, खुश तो नहीं होगा तू पता मुझे है। आज तू पड़ा है मानो कोई तुझसा नही, कौन कहेगा तुझे कितना गुनाहगार है तू। मुझे पता है तू पश्चाताप कर रहा, मगर क्या पता है तुझे वह भी तुझसा बन रहा। क्या उस दिन खुद से नजरें मिला सकेगा, जब उसके अंदर खुद की रूह पायेगा। बड़ा भोला था मगर कभी तुझसा नहीं, कभी नफ़रत करता था जो तेरे शब्दों से। आज वही अपने होठों से तेरे बोल बोल रहा, उसे एहसास नहीं मगर कुछ तो गलत कर रहा। आज वह भी तेरी तरह अपनों को खो रहा, कभी जो उसकी दुनिया थी जिसे पलकों पर बिठाया था। जिसके न होने से उसे हर शख्स पराया था, जिसकी मुस्कान उसके लिए दवा का काम करती थी। अब उसके मरने की हर रोज़ दुआ मांगता है, तेरी तरह वह भी उस पर हाथ उठाता है। आंख दिखा कर उसे डराना चाहता है, फ़र्क इतना है बस कि इंसान अलग है। मगर आज भी उसमें रूह तेरी है, रोती है मगर उसकी परवाह करती है। आज भी तेरी सेवा उसका मान करती है, तुम...

Gouraiya

_  गौरैया सपने में मेरे          थी आयी एक चिड़िया नन्ही सी, प्यारी सी,           था नाम उसका 'गौरैया' ह्रदय के आलिंद निलय में         झूमती थी उसकी वल्लरिया ची ची कर कलरव करती अब        शायद ही दिखती है गौरैया शामिल हो गयी हूँ क्यूँ विलुप्त प्रजाति में             पूँछती हमसे ये गौरैया पेड़ था,कट गया            नीड़ था,उजड़ गया शून्य सा ह्रदय लेकर           इधर उधर भागती है बची हुयी अब गौरैया बसंत आया,बहारे आयी           लेकिन नहीं आयी इस बार गौरैया उठो, स्वप्न से जागो         बचा लो अब          जितनी बची हुयी हैं 'गौरैया अन्यथा,आने वाली पीढ़ी को आटे की लोई से बनाकर बताओगे 'ऐसी दिखती थी 'गौरैया' !! 👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet Neha Bajpai EDUCATION :Sir MA in political Science and LLB firs...