_ गौरैया
सपने में मेरे
थी आयी एक चिड़िया
नन्ही सी, प्यारी सी,
था नाम उसका 'गौरैया'
ह्रदय के आलिंद निलय में
झूमती थी उसकी वल्लरिया
ची ची कर कलरव करती अब
शायद ही दिखती है गौरैया
शामिल हो गयी हूँ क्यूँ विलुप्त प्रजाति में
पूँछती हमसे ये गौरैया
पेड़ था,कट गया
नीड़ था,उजड़ गया
शून्य सा ह्रदय लेकर
इधर उधर भागती है बची हुयी अब गौरैया
बसंत आया,बहारे आयी
लेकिन नहीं आयी इस बार गौरैया
उठो, स्वप्न से जागो
बचा लो अब
जितनी बची हुयी हैं 'गौरैया
अन्यथा,आने वाली पीढ़ी को आटे की लोई से बनाकर बताओगे
'ऐसी दिखती थी 'गौरैया' !!
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Poet
Neha Bajpai
Publisher
Om Tripathi
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Social Media Manager
Shourya Paroha
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