_तितली
इक तितली है जो फूलों पर। बचपन खुश है झूलो पर। इक शाम जो बैठी मां के पास। लेकर अपना टूटा विश्वास । नम होकर फिर आंखे बोली । मानो तनिक सी हवा भी डोली । अब मुख भी अपने आप खुले । लगी बताने अपने गम । इक इक कर,सब बात बताई। यह देख मां का भी दिल डोला। उसके नेत्र भी जैसे ताल हुए । आंखे भी उसकी फूल गई । मानो वह ढलता सूर्य हुई। फिर मां ने हमको समझाई । टूटी हुई विश्वास जगाई । मां ने बोला ओ मेरी बेटी । तू रख हौसला और हिम्मत रख । तू भी गर्व करेगी इक दिन। होगा सपना तेरा भी साकार । खुद को तू बना कठोर आकार । इक दिन विजय का सहरा जब तू बांधेगी । दुनिया भी तेरे पीछे भागेगी । खुद पर तुझको तब होगा नाज । मगर तू हिम्मत ना हार आज । देखना दुनिया करेगी प्रायश्चित अपने भूलो पर । इक तितली है जो फूलों पर। बचपन खुश है झूलो पर।
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Poet
Atul Kumar
Publisher
Om Tripathi
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Social Media Manager
Shourya Paroha
Bahut sundar kavita hai....💝💝.
जवाब देंहटाएंSuper lines
जवाब देंहटाएंOsm
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