Hamari kavita सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अप्रैल, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Jindagi

_जिंदगी जिंदगी के धूप में चल सको तो चलते जाओ इस भीड़ में रास्ता बना सको तो बनाते जाओ किसी के न होने से जिंदगी नही रुकती उन्हें भूलकर जी सको तो जीते जाओ यहां कोई किसी की मदद नही करता अपने को संभाल कर बढ़ सको तो बढ़ते जाओ यही है जिंदगी की कहानी समझ सको तो समझते जाओ Amrita tripathi 👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet  Amrita tripathi EDUCATION : ADDRESS : Publisher Om Tripathi Contact No. 9302115955 आप भी अगर साहित्य उत्थान के इस प्रयास में अपनी मदद देना चाहते हैं तो UPI ID. 9302115955@paytm पर अपनी इच्छा अनुसार राशि प्रदान कर सकते हैं।

Dheere dheere chal

_धीरे धीरे चल धीरे धीरे चल जिंदगी अभी बहुत कुछ कर जाना है कुछ फर्ज निभाना है अलग कर दिखाना है रूठो को मनाना है अपनी मंज़िल पाना है कुछ सपने अधूरे कुछ काम अधूरे उन्हें सुलझाना है अपने हुऐ पराए किसे दर्द बताएं उन्हें रिस्तो का एहसास कराना है धीरे धीरे चल जिंदगी अभी बहुत कुछ कर जाना है Amrita tripathi 👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet  Amrita Tripathi EDUCATION : ADDRESS : Publisher Om Tripathi Contact No. 9302115955 आप भी अगर साहित्य उत्थान के इस प्रयास में अपनी मदद देना चाहते हैं तो UPI ID. 9302115955@paytm पर अपनी इच्छा अनुसार राशि प्रदान कर सकते हैं।

Garmi ayi garmi ayi

_गर्मी आई गर्मी आई गर्मी आई गर्मी आई देखो कितनी तपन है लाई धूल आधियों की है बहार कच्ची अमिया की बौछार पोखर में भैंस नहाएं मानो गर्मी अब न जाए कोका कोला बर्फ का गोला आइस्क्रीम कुल्फी से भरा है झोला तरबूज खरबूज खीरा की भरमार नींबू की सिकंजी हैं तैयार खड़ी दोपहरी चलती है लू पिलो भुने आम का जूस पापा कहते बाहर न खेलों लू लग जाए मै न झेलूं Amrita tripathi 👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet  Amrita tripathi EDUCATION : ADDRESS : Publisher Om Tripathi Contact No. 9302115955 आप भी अगर साहित्य उत्थान के इस प्रयास में अपनी मदद देना चाहते हैं तो UPI ID. 9302115955@paytm पर अपनी इच्छा अनुसार राशि प्रदान कर सकते हैं।

Mein bulbul tere aagan ki

_मैं बुलबुल तेरे आंगन की मैं बुलबुल तेरे आंगन की आज चली हूं मैं परदेश अब न लौटूंगी मै इस देश पापा की मैं गुड़िया रानी  मम्मी की हूं राज दुलारी आंगन की हूं मैं किलकारी कल कल नदियों सा बहता पानी खिलौनों से होती मेरी यारी सखियों से मिल हंसती प्यारी आज सजी हूं दुल्हन बनके जाऊंगी मैं डोली चढ़के पापा का आंगन सुना करके मम्मी का आंचल कोरा करके याद आयेंगे बचपन के झूले सावन में हम हिल मिल घूमे मैं बुलबुल तेरे आंगन की आज चली हूं मैं परदेश Amrita tripathi 👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet Amrita tripathi  EDUCATION : ADDRESS : Publisher Om Tripathi Contact No. 9302115955 आप भी अगर साहित्य उत्थान के इस प्रयास में अपनी मदद देना चाहते हैं तो UPI ID. 9302115955@paytm पर अपनी इच्छा अनुसार राशि प्रदान कर सकते हैं।

Beti Badi Hui

_बेटी बड़ी हुई बेटी बड़ी हुई पता नहीं चला कब बहु बनी पता न चला मायके में टेढ़ी रोटी बनाने वाली ससुराल में कब गोल गोल रोटी बनाने लगी पता न चला जो ज़िम्मेदारी शब्द से डरती थी वो जिम्मेदारी उठाने लगी पता न चला बेटी कब बड़ी हुई बहु बनी पता नहीं चला जो किसी की डांट नही सुनती थी वो सबकी बातें सुनकर चुप रहने लगीं पता न चला भाई बहनों से लड़ने वाली ससुराल में मेल जोल सिखाने लगी पता न चला बेटी बड़ी हुई बहू बनी पता नहीं चला मां की बाते सुनकर टालने वाली सास की हर बात मानने लगी पता न चला हर काम समय से न करने वाली ससुराल में हर काम समय पर करने लगीं पता न चला बेटी बड़ी हुई बहू बनी पता नहीं चला हर बात पर चक चक बक बक करने वाली ससुराल में सलीके वाली हुई पता न चला बेटी बड़ी हुई बहू बनी पता नहीं चला Amrita tripathi 👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet  Amrita Tripathi EDUCATION : ADDRESS : Publisher Om Tripathi Contact No. 9302115955 आप भी अगर साहित्य उत्थान के इस प्रयास में अपनी मदद देना चाहते हैं तो UPI ID. 930211595...

Karm Bhumi he Kehti

   _ कर्म भूमि है कहती तुम किसी की मदद करके तो देखो तुम्हे मदद न मिले तो कहना किसी के आंसू पोंछ कर तो देखो तुम्हारी आंखों में आसूं आए तो कहना तुम किसी को गिराकर तो देखो तुम न गिरे तो फिर कहना दिन दुखियों की सेवा करके तो देखो तुम्हारी सेवा न हो तो कहना किसी की बहन बेटी का अपमान करके तो देखो तुम्हारी बहन बेटी अपमानित न हो तो फिर कहना किसी की वस्तु चोरी करके तो देखो तुम्हारी वस्तु न खो जाए तो फिर कहना किसी को अपशब्द कह के तो देखो वही अपशब्द कहीं से लौटकर न आए तो कहना माता पिता को दुखी करके तो देखो तुम्हारे बच्चे तुम्हे दुखी न करे तो फिर कहना किसी के रिश्ते में खटास घोलकर तो देखो तुम्हारे रिश्ते खराब न हो जाए तो फिर कहना ये कर्म भूमि है दोस्तो यहां पर जो करोगे वही वापस पाओगे Amrita tripathi 👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet  Amrita Tripathi EDUCATION : ADDRESS : Publisher Om Tripathi Contact No. 9302115955 आप भी अगर साहित्य उत्थान के इस प्रयास में अपनी मदद देना चाहते हैं तो UPI ID. 93021159...

Aurat hu

 _  औरत हूं हम औरत है हमारे कंधों पर जिम्मेदारियां बोझ बनकर खड़ी है और घर में आवाज़ गूंज रही है तुम दिन भर करती क्या हो सुबह नाश्ता बच्चो का टिफिन पति को ऑफिस और न जानें कितने काम और घर में आवाज़ गूंज रही है तुम दिन भर करती क्या हो नौ माह बच्चे को गर्भ में रखे प्रसव वेदना सहे उनके लालन पालन में समय निकाले अनेक तकलीफ़ सहे और घर में आवाज़ गूंज रही है तुम दिन भर करती क्या हो बच्चों की पहली टीचर बनू घर की साफ़ सफाई करू सास ससुर पति की सेवा करू मेहमानों की देखभाल करते हुए आगे पीछे डोलू और घर में आवाज़ गूंज रही है तुम दिन भर करती क्या हो कोई बीमार पड़ जाएं नर्स बन जाऊं अपने सपने दबाकर दुसरे को बनाऊं हर ज़िम्मेदारी को हंसकर उठाऊं फिर भी न जाने क्यूं घर में आवाज़ गूंज रही है तुम दिन भर करती क्या हो मैं कुछ करती नही फिर भी मैं प्रकृति हूं और तुम्हारा सृजन भी आख़िर क्यों Amrita tripathi 👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet  Amrita Tripathi EDUCATION : ADDRESS : Publisher Om Tripathi Contact No. 9302115955 आप...

Aakhir Kyo

_   आखिर क्यों अपनी बेटी संस्कारी दूसरे की बेटी खराब क्यों दूसरे की बेटी पढ़े तो क्या होगा पढ़कर अपनी बेटी टीचर बने आखिर क्यों दूसरे की बेटी जमीन पर बैठे अपनी बेटी सिर पर आखिर क्यों दूसरे की बेटी बाहर जाए तो तकलीफ़ अपनी बेटी दुनियां भ्रमण करे आखिर क्यों दूसरे की बेटी में हजारों कमियां अपनी बेटी में कोई कमी नहीं आखिर क्यों दूसरे की बेटी पागल सी अपनी बेटी समझदार आखिर क्यों दुसरे की बेटी का गुजर बसर नही होगा अपनी बेटी को सब सुख क्यों दुसरे की बेटी शक्ल अच्छी नहीं अपनी बेटी मिस इंडिया क्यों दुसरे की बेटी सही होकर भी गलत अपनी बेटी गलत होकर भी सही क्यों दुसरे की बेटी अनपढ़ गंवार अपनी बेटी रानी बिद्दोतमा क्यों दुसरे की बेटी झूठ बोलती है अपनी बेटी राजा हरिचंद्र की वंशज क्यों दुसरे की बेटी को कोई पसंद नहीं करेगा अपनी बेटी के लिए दूर से रिश्ते आते है आख़िर क्यों दुसरे की बेटी बहुत कामचोर अपनी बेटी कारबारी आख़िर क्यों मत करो बेटियों में भेदभाव ये प्रकृति है इनमे भेदभाव करके आप पतन के रास्ते पर जाओगे बस एक ही नारा हो अपनी बेटी सबकी बेटी Amrita tripathi        ...