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Mein bulbul tere aagan ki

_मैं बुलबुल तेरे आंगन की



मैं बुलबुल तेरे आंगन की आज चली हूं मैं परदेश
अब न लौटूंगी मै इस देश
पापा की मैं गुड़िया रानी 
मम्मी की हूं राज दुलारी
आंगन की हूं मैं किलकारी
कल कल नदियों सा बहता पानी
खिलौनों से होती मेरी यारी
सखियों से मिल हंसती प्यारी
आज सजी हूं दुल्हन बनके
जाऊंगी मैं डोली चढ़के
पापा का आंगन सुना करके
मम्मी का आंचल कोरा करके
याद आयेंगे बचपन के झूले
सावन में हम हिल मिल घूमे
मैं बुलबुल तेरे आंगन की
आज चली हूं मैं परदेश

Amrita tripathi


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Amrita tripathi 

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