_गर्मी आई गर्मी आई
गर्मी आई गर्मी आई
देखो कितनी तपन है लाई
धूल आधियों की है बहार
कच्ची अमिया की बौछार
पोखर में भैंस नहाएं
मानो गर्मी अब न जाए
कोका कोला बर्फ का गोला
आइस्क्रीम कुल्फी से भरा है झोला
तरबूज खरबूज खीरा की भरमार
नींबू की सिकंजी हैं तैयार
खड़ी दोपहरी चलती है लू
पिलो भुने आम का जूस
पापा कहते बाहर न खेलों
लू लग जाए मै न झेलूं
Amrita tripathi
👉हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें👈
Publisher
Om Tripathi
Contact No. 9302115955
आप भी अगर साहित्य उत्थान के इस प्रयास में अपनी मदद देना चाहते हैं तो UPI ID. 9302115955@paytm पर अपनी इच्छा अनुसार राशि प्रदान कर सकते हैं।
आप भी अगर साहित्य उत्थान के इस प्रयास में अपनी मदद देना चाहते हैं तो UPI ID. 9302115955@paytm पर अपनी इच्छा अनुसार राशि प्रदान कर सकते हैं।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
हमें बताएं आपको यह कविता कैसी लगी।