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जुलाई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मेरा प्यार

  दुनिया भी बेकार है,  भगवान भी बेकार है। तरस खाता नहीं मेरे ऊपर,  कैसे का भगवान है।            नहीं चाहिए खुदा तुमसे कुछ भी,            स्वर्ग जन्नत अनंत जीवन भी।            देना है तो बस यही दे जाओ,            हर दुख दूर हो, शाम को आए नींद भी।  क्या दिल लगाने की सजा यही है,  जो रो रहा हूँ क्या प्यार यही है।  मान रहा हूँ हर गलती अपनी,  हमें माफ़ करना क्या खता नहीं है।            मैं अंधा था, अज्ञानी था          हममें चंचलता और जवानी थी।           प्यार में उसके रोता मैं,         क्या देखा नहीं प्रभु अंधा था।  प्रभु बिन दुनिया में कुछ हो सकता नहीं,  फिर मेरे आँखों में आँसू आया क्यूँ।  आँसू आए क्या मर्जी तेरी,  तेरी मर्जी है तो मेरा प्रभु क्यूँ।          तुम मर गए प्यार के कारण,...

पिता का प्यार

   भले ही माँ,  जन्म देती है!  पालकर बड़ा करते हैं पापा!!            घुटनों के बल चलते-चलते,           खड़ा होने को करता जब मन,           पकड़ कर हमारी ऊंगली,           चलना सिखाते हैं पापा!  थकान होती है,  जब चलने पर,  उठा अपने कंधे पर,  बेठा लेते हैं पापा!          टूटे ना कोई सपना,          हो पूरी हर ख्वाहिश,          इसके पीछे दिन-रात,          एक कर देते हैं पापा!   Written by - Pooja Jha(Kavya)   Parmanandpur,Arariya  (BIHAR)  Posted by - Om Tripathi

दहेज की मार

जब देखन को  जाते हैं पिता बेटी का वर, सुन उनकी मांग को,  वापस आ जाते हैं घर।                     उनकी मांग                      पूरी करने में,                      रहते हैं असमर्थ,                      सोचन लगते हैं,                      जन्म दिया                     बेटी को व्यर्थ।  पुनः जब  प्रस्ताव लेकर,  जातें हैं दूसरे के द्वार,  घर को भेज देती है,  उसे दहेज की मार।                                                        देख बेटी,               ...

धरती की पूकार

आंखों में थोड़ा अश्क लिए,          ह्रदय द्रवित करके कुछ बोली,  तुम कितने निष्ठुर हो मानव,          नही अवगत मेरे आघात से तुम,  सुनो! मैं तुमसे कुछ कह रही,          करके दुरूपयोग तुम मेरा,    जूझ रहे संकट से आज,          वक्त अभी भी गया नहीं है,  क्षमा के हो हकदार अभी तुम,            प्रलय से बचाकर धरा को आज,  खुद को मुक्त करो कर्ज से तुम,           बचा लो आने वाली पीढ़ी के लिए,  कृतज्ञ होगें वो कल तुम पर,           निर्भर होगा प्रकृति पर उनका जीवन,  जियो ना बनकर मिट्टी के पुतले,           निर्माण करो फिर से इस जग का,  जिसमें बहती मलय पवन हो,           निर्मल अमृत की जल धारा,  कलरव करते विहंग धरा पर,           झूमते तरुवर की मुस्कान हो,  आखों में थोड़ा ...

कोरोना का कहर

अब बस भी करो अपना कहर,                बहुत उगल चुके हो तुम जहर,  छुपने को बचा नही कोना,                  अब बस भी करो कोरोना॥  कितनो का तुमने गोद छीना ?                  कितनो का किया माँग सुना?  रूकने के नाम पर हो रहे दोगुना,                    अब बस भी करो कोरोना॥  मानो तुमने जीना ही सिखा दिया,                    अपने कहर से इतना जो डरा दिया हो गया है मुश्किल अब जीना,                      अब बस भी करो कोरोना॥  आखिर कौन सा-विष तूने अपने अंदर है पाल रखा,                      जिसे बडे़- से- बडे़ वैज्ञानिक भी ना समझ सका,  तुम्हारे कारण अपनों को पड रहा है खोना                  ...

प्राकृति

बयां करूँ मैं तेरा रूप क्या,              तेरा रूप निराला है॥      भारत की आधार भूत ये,                देवों की हाँ भाषा है॥  बयां करूँ मैं तेरा रूप क्या,               तेरा रूप निराला है॥  कई ज्ञानीयों को तूने हाँ,              असमंजस में डाला है॥  बयां करूँ मैं तेरा रूप क्या,                     तेरा रूप निराला है॥ क्या रूप दिखाऊँ तेरा सबको,              तूने सबको पाला है॥  बयां करूँ मैं तेरा रूप क्या,             तेरा रूप निराला है॥    पेड़ लगा कर तुम्हें बचाएं,              मन में यह हमने ठाना है॥  बयां करूँ मैं तेरा रूप क्या,              तेरा रूप निराला है॥    तुम दयावान तुम जगपालक हो,   ...

हिंद प्रेम

मैं हिंद प्रेम का वासी हूँ, हाँ भारत मेरा अपना है॥  सब खुश रहैं , आपस में हाँ प्रेम करे बस इतना मेरा  सपना है॥  मैं हिंद प्रेम का वासी हूँ, हाँ आर्यवर्त मेरा अपना है॥          हिम्मत जिसमें अपार जो कभी न माने हार यही मेरा अपना है॥ मैं हिंद प्रेम का वासी हूँ, हाँ भारत मेरा अपना है॥  जहाँ कभी न होता दुराचार शिक्षा का हो पूरा अधिकार, बस यही मेरा अपनाहै है॥  मैं हिंद प्रेम का वासी हूँ, हाँ आर्यवर्त मेरा अपना है॥ हाँ भारत ही विश्व गुरु और अखंड बने, बस सपना मेरा इतना है॥  मैं हिंद प्रेम का वासी हूँ, हाँ भारत मेरा अपना है॥  यूवा बालकों को ही देखो, मन में देश प्रेम का सपना है॥  मैं हिंद प्रेम का वासी हूँ, हाँ आर्यवर्त मेरा अपना है॥ लगता है इस काबिल बन जाऊँ, अपनों का मैं साथ निभाऊ॥  मैं हिंद प्रेम का वासी हूँ, हाँ भारत मेरा अपना है॥  भारत माँ की रक्षा में, मैं सर्वश्य लुटा जाऊँ, बस सपना मेरा इतना है॥  मैं हिंद प्रेम का वासी हूँ, हाँ आर्यवर्त मेरा अपना है॥ मैं हिंद प्रेम का वासी हूँ, हाँ भारत मेरा अपना है॥ ...

अंतर्मन

मैं नित्य तुम्हे ही याद करूँ,                      तुम तो अंतरयामी हो॥  कई रूप तुम्हारे हैं विकराल,                      पर तुम भोले भंडारी हो॥ मैं नित्य.........॥  हम अज्ञानता पूण हुए हैं,                      तुम ज्ञानी विज्ञानी हो॥ मैं नित्य............॥  जग में तुम ही रास रचाओ,                      तुम ही पालन हारी हो॥ मैं नित्य...........॥  कई कर्म हुए अधर्म हुए,                      पर तुम ही पालन हारी हो॥ मैं नित्य......॥  राम नाम की रास रचाई,                     तुम शंकर अविनाशी हो॥ मैं नित्य.........॥  मैं याद करूँ फरीयाद करूँ,                    तेरा दर संकट हारी है॥ मैं नित...

कहाँ गए हो......

कहाँ गए हो हवा में घुल कर ,                  क्यों इतना याद आते हो॥  एक क्षण के लिए मिल जाओ ना,                  सीने से मुझे लगाओ ना॥  उस रात में घोर अंधेरा,                  क्या समय की ही वो गलती थी॥  कानों तक जब बात वो पहुंची,                  वो रात नहीं थी कटती थी॥  सबकी आँखों में था पानी,                  वो पानी नहीं ये दर्द छिपा॥  कल बुरा हुआ तो क्या हुआ,                  कल अच्छा होगा है मुझे पता॥  जीवन में कुछ करने की आशा,                  लेकर में दृढ़ पथ पर चला॥                                 Written by              ...

मै ठोकर खाता पत्थर हूँ

मै  ठोकर खाता पत्थर हूँ  ,  तुम अडिग खडी़ चट्टान प्रभू  ॥  मै धरती का इक रहवसी हूँ  , तुम तीनों भवनों के नाथ हरि  ॥ मै माया से जकडा  प्राणी हूँ   , तुम माया पति भगवान हरि  ॥ जो भक्त तुम्हारा होगा हरि    , माया उसको न व्यापेगी   ॥  तुम हो साकार  , तुम निराकार  , तुम ही आदि अनंत प्रभू  ॥ हे बृह्मा -विष्णु- महेश सुनों  , है मेरी विनती अब तुम सब से  ॥ ऐसे लोगों को समझाओ  , जो करते हिंसा की बात हरि  ॥  युध्द से भला किसी का  न हो पाया है , इस अग्नि मैं दोनों दल ने कुछ न कुछ गवाया है  ॥  मेरी अतिंम विनती है प्रभू आपसे  , हिंसा वाली प्रथा मिटा  जाओ  , और मानव को मानवता का पाठ पढा जाओ  ,॥                          Written and posted by                    - Om Tripathi