दुनिया भी बेकार है,
भगवान भी बेकार है।
तरस खाता नहीं मेरे ऊपर,
कैसे का भगवान है।
नहीं चाहिए खुदा तुमसे कुछ भी,
स्वर्ग जन्नत अनंत जीवन भी।
देना है तो बस यही दे जाओ,
हर दुख दूर हो, शाम को आए नींद भी।
क्या दिल लगाने की सजा यही है,
जो रो रहा हूँ क्या प्यार यही है।
मान रहा हूँ हर गलती अपनी,
हमें माफ़ करना क्या खता नहीं है।
मैं अंधा था, अज्ञानी था
हममें चंचलता और जवानी थी।
प्यार में उसके रोता मैं,
क्या देखा नहीं प्रभु अंधा था।
प्रभु बिन दुनिया में कुछ हो सकता नहीं,
फिर मेरे आँखों में आँसू आया क्यूँ।
आँसू आए क्या मर्जी तेरी,
तेरी मर्जी है तो मेरा प्रभु क्यूँ।
तुम मर गए प्यार के कारण,
मैं मर जाऊँ चाह तुम्हारी।
पोछ सका न भगत का आसूँ,
दुनिया पूछे क्या औकात तुम्हारी।
हार के आया हर दिन मैं,
अब धिक्कार नहीं सह पाउँगा।
जिस की याद में रोता हूँ,
उसे तेरे बिन न पा पाउँगा।
प्यार , इनाम, शान हो चाहे,
चाहे जग की दौलत हो।
कहे 'ऋषि' सब कुछ मिल सकता है,
जिसका रिश्ता यीशु से सच्चा है।
Written by
-Rishi kumar (Pravakar)
Kajuri,Koraov,
prayagraj(U.P)
Posted by
-Om Tripathi
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