बयां करूँ मैं तेरा रूप क्या,
तेरा रूप निराला है॥
भारत की आधार भूत ये,
देवों की हाँ भाषा है॥
बयां करूँ मैं तेरा रूप क्या,
तेरा रूप निराला है॥
कई ज्ञानीयों को तूने हाँ,
असमंजस में डाला है॥
बयां करूँ मैं तेरा रूप क्या,
तेरा रूप निराला है॥
क्या रूप दिखाऊँ तेरा सबको,
तूने सबको पाला है॥
बयां करूँ मैं तेरा रूप क्या,
तेरा रूप निराला है॥
पेड़ लगा कर तुम्हें बचाएं,
मन में यह हमने ठाना है॥
बयां करूँ मैं तेरा रूप क्या,
तेरा रूप निराला है॥
तुम दयावान तुम जगपालक हो,
बस हमने इतना जाना है॥
बयां करूँ मैं तेरा रूप क्या,
तेरा रूप निराला है॥
ऋषियों ने भी पूजा तुमको,
और हमने भी यह ठाना है॥
बयां करूँ मैं तेरा रूप क्या,
तेरा रूप निराला है॥
लगता है कुछ क्षण रुक जाऊँ, तेरे संग
मैं समय बिताऊ बस इतनी मेरी आशा है॥
बयां करूँ मैं तेरा रूप क्या,
तेरा रूप निराला है॥
तेरा रूप है अति सुंदर,
जो दिखे बड़ा निराला है॥
बयां करूँ मैं तेरा रूप क्या,
तेरा रूप निराला है॥
तेरे मन की स्तुति भावे, सावन की याद हाँ आवे
बस इतना स्वपन ही आता है॥
बयां करूँ मैं तेरा रूप क्या,
तेरा रूप निराला है॥
तुम हमारी प्रिय प्राक्रति देवी,
इसलिए यह लिख डाला है॥
बयां करूँ मैं तेरा रूप क्या,
तेरा रूप निराला है॥
मन को मैं वस में करना चाहूँ, प्राक्रति की में ओर निहारूँ
बस इतना ही में करना चाहूँ॥
Written by
-Vedansh pathak
Posted by
-Om tripathi
Wow
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जवाब देंहटाएंvery nice poem brother
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