भले ही माँ,
जन्म देती है!
पालकर बड़ा करते हैं पापा!!
घुटनों के बल चलते-चलते,
खड़ा होने को करता जब मन,
पकड़ कर हमारी ऊंगली,
चलना सिखाते हैं पापा!
थकान होती है,
जब चलने पर,
उठा अपने कंधे पर,
बेठा लेते हैं पापा!
टूटे ना कोई सपना,
हो पूरी हर ख्वाहिश,
इसके पीछे दिन-रात,
एक कर देते हैं पापा!
Written by
-Pooja Jha(Kavya)
Parmanandpur,Arariya
(BIHAR)
Posted by
-Om Tripathi
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