_नई उमंग
नई शाम के नया सबेरा होता है छोटी छोटी कलियों से बगिया में फूल खिलता है
दुःख जायेंगे सुख आयेंगे एक पत्थर हमको सिखाता है
बनती है प्रतिमा काट काट के मंदिर में जब लगती है फूल बरसता है प्रतिमा पर दुनियां सारी पूजती है
इसी प्रकार जीवन है निर्मल कभी सहे जेठ की तपन तो कभी सावन की फुहार
दुःख से तुम ना घबराओ जीवन है अनमोल उपहार कभी हसीं है कभी नमी और कभी मां की ममता सा प्यार
धरा पर जीवन ऐसा जीओ छाई हो बसंत की बहार
Amrita tripathi
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Poet
Amrita Tripathi
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Very good 👍 bahan
जवाब देंहटाएंBahut achchi kavita hai sister
जवाब देंहटाएंKya khub likha hai aapne sister
जवाब देंहटाएंNice 👍 sister
जवाब देंहटाएंNice 👍 sister
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