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ठोकरें

 (मुक्तक) 

ठोकरें तुझे गिरा नहीं सकती,   

 राहें कभी थका नहीं सकती।    

  लक्ष्य तक पहुँचने की ललक रख    

   मंजिल कभी डरा नहीं सकती।


गुलाब का फूल काँटों में ही खिलता है,

 सच्चा प्रेम बड़ी मुश्किल से मिलता है

 तुझे एक-एक कदम रखना होगा फूंक-फूंक कर, 

शाबाशी, धोखा अक्सर पीछे से ही मिलता है।


गुलाब काँटों के साथ ही खिलता है,

 तभी तो मुस्कुरा कर वो महकता है

 बेटियाँ तुम भी बनके नश्तर जियो,

जिन्हें तूफान भी उड़ा नहीं सकता है।


काँटों को तू अपना साथी बना के चल,

 रेत को निचोड़ ले तकदीर बनाके चल, 

            खुदा भी अगर तुझसे रूठा है तो क्या परवाह,                              

खुद को तू खुद का ही मसीहा बना के चल।


तमन्ना गर आसमां छूने की है तो मेहनत साथ लेकर चल, 

पसीने की परवाह न कर रास्ता खोद दरिया बहाके चल। 

जीवन सफर में कई उतार-चढ़ाव भरे रास्ते तय करने होंगे, 

सहरा वीरान है तो क्या तू बयाबाँ को बागबां बनाता चल।


रोता है वही जो किसी के साथ बुरा करता,                 

जैसी करनी वैसा ही फल भुगतना पड़ता।                   

बस धीरज रखो ऊपर वाले पर भरोसा भी,              

तुम्हारे लिए क्या सही है न्याय वही है करता।


बेईमानी का धन है संतति खातिर मत जोड़ो,                  

झूठ फ़रेब कमाया है पीढ़ी खातिर मत छोड़ो।              

हिस्सा है क्या उनका जरा इस पाप में पूछो,                     

सजा सिर्फ आपकी है किसी खातिर मत छोड़ो।


वो मुझे भूलने के तरीके ढूंढ रहे थे, 

मेरी खता बताके बेवफा कह रहे थे

               मैंने खफ़ा होकर मुश्किलें आसां कर दी,                  

एक पन्ना पलट दिया किताब पढ़ रहे थे।


चमक सूरज की चाहिए तो तपना सीख लीजिए,                 

हवाओं की रवानी चाहिए तो बहना सीख लीजिए।                   

यहाँ क्यों बैठा है तू घाव खोल कर पगले,                         

नमक के साथ रहना तो पहले सीख लीजिए। 


आसमां की चाहत है बरसा वो जमीं खातिर,                        

हम झुलसे हैं शोलों में मुहब्बत ए तेरी खातिर।                     

समन्दर के माँझी तू लहरों से कभी मत हार,                    

किसी तूफां ने रास्ता किया है साफ तेरी खातिर।



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Poet

Sarita Shrivastav

EDUCATION :
ADDRESS :Dhoulpur, Rajasthan
From Dhoulpur, Rajasthan



Publisher

Om Tripathi

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