नया सवेरा
(कविता)
एक नये सवेरे को लेकर आया दिनकर।
एक नई आशा उमंग को लेकर आया दिनकर।
सोए हुए जग को ,जगाने आया दिनकर।
अपनी किरणों की कालीनता से।
अँधेरे जग को जगाने आया दिनकर ।
अपनी कालीन किरणों से।
अँधकार को प्रकाश की ओर ले आया दिनकर।
अपनी रक्त भरी किरणों से।
प्रकृति श्रृंगार करने आया दिनकर ।
निर्धन और धनवान की जिन्दगी में।
आशा लेकर आया दिनकर।
मानवता के जीवन में , आलस्य भगाने आया दिनकर।
पुष्पों और फलों को परिपूर्ण बनाने आया दिनकर ।
हर जीव और प्रकृति में।
नई उमंग ले आया दिनकर।
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Om Tripathi
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Bhut hi sundar
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर
जवाब देंहटाएंGjb
जवाब देंहटाएंBhut sundar
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट
जवाब देंहटाएंBhut achi
जवाब देंहटाएंAti sundar
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंManoj nautiyal rahul bhatt is a god poet
जवाब देंहटाएंbhut sundar
जवाब देंहटाएंBhoot sunder
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंAmazing piece! Very well done!Beautiful write!
जवाब देंहटाएंAmazing
जवाब देंहटाएंWow
जवाब देंहटाएंNice
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