_पैसा
एक दिन मजबूरी और पैसे में तकरार हो गई मजबूरी ने पैसे से कहा मैं तुमसे बड़ी हूं क्योंकि मजबूरी में लोग कुछ भी कर सकते हैं मजबूरी में ईमानदार से भी ज्यादा ईमानदार बेईमान और बेईमान से भी ज्यादा बेईमान ईमानदार बन जाता है मजबूरी बड़ी है तो पैसे ने कहा ईमानदार लोग मेरी वजह से ईमानदार और बेईमान लोग भी मेरी वजह से बेईमान होते हैं अच्छे-अच्छो की सीयत बिगड़ जाती है मेरे सामने मुझ में इतनी ताकत है कि मैं अच्छे को बुरा और बुरे को अच्छा बना सकता हूं मेरी ताकत इतनी है कि अगर मैं चाहूं तो एक पल में सब कुछ बंद कर सकता हूं जैसे हवा के बिना सांस नहीं चलती ठीक वैसे ही मेरे बिना दुनिया नहीं चलती मैं दुनिया को उतना ही जरूरी हूं जितना जीने के लिए खाना और पानी मेरे बगैर जीने का कोई ख्याल तक नहीं कर सकता अगर दुनिया ईश्वर के बाद किसी को पूछता है तो वह मैं हूं मैं सर्वोपरि तो नहीं पर दुनिया में ईश्वर के बाद दूसरा स्थान मेरा ही है (पैसा) जहां लोग जिंदगी से हार मान जाते हैं वह मुझे देखते ही उन्हें एक नया जीवन मिल जाता है जिस काम को बड़े से बड़ा नेता भी नहीं कर सकता उसे मैं पल भर में कर देता हूं (पैसा) मैं दुनिया में बदलाव और लोगों की सोच के साथ है तरक्की करता हूं (पैसा) मैं आज की तरह जलता नहीं हूं पर मुझ में उसे सूरत से भी ज्यादा गर्मी है मैं अपनी गर्मी दिखाता नहीं हूं पर अंदर ही अंदर हर रिश्तों को जला देता हूं मुझ में इतनी ताकत है कि मैं कभी-कभी वक्त को भी पीछे छोड़ देता हूं मजबूरी में लोग करते हैं पर मेरे लिए तो एक दूसरे को मार देते हैं
शेर का जंगल होता है राजा का राज्य होता है प्रधानमंत्री का देश होता है
पर मैं तो इस पूरी दुनिया का राजा हूं मेरा नाम तो कोई देश है मेरी तो यह पूरी दुनिया है इस पूरी दुनिया पर मेरा रात चलता है मेरे बगैर कोई अमीर है ना कोई गरीब क्योंकि आमिर को भी में जरूरी हूं और गरीब को भी
R.k.
👉हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें👈
Poet
R.k.
EDUCATION :
ADDRESS :
ADDRESS :
Wing of majburi
जवाब देंहटाएंMajburi hi sarvo pari hai
जवाब देंहटाएं