_ चाँद चाँदनी रात मे चाँद कि याद मे , कागज कलम लिए बैठा था मैं , सवाल था खुद से कि , क्या लिखु और कहां से शुरूआत करू मे ? ख्वाबों से, हकिकत से, या करू पहली मुलाकात से, तेरी रेशमी बालों से या माथे कि बिंदिया से , तेरी छोटी सी मुस्कान से या तेरे नन्हें होठों से। तेरी मोती सी आंखों से या गुलाबी गालो से , तेरी मीठी सी आवाज से, या तेरे मोर पंख के झुमके से। तेरी मटकती चाल से या दौड़ भाग कि मस्ती से , तेरे प्यार भरे हेलो से या मखमल जैसे हाथो से। सोचता रहा , सोचता रहा, ख्यालों मे खो गया मैं , कलम हाथ से गिर गई , कागज उड़ गया हवा मे। मेरे सपनों कि रानी सपनों मे खो गई , ख्वाब , ख्वाब ही रह गया और नीदं टूट गई। 👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet Neelkamal Malviya EDUCATION : ADDRESS :
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