_मांँ का प्यार
मां एक ऐसा नशा है तुझमें डूब जाते हैं हम अपने सब दुख भुलाकर तुम्हारे सीने में सिमट जाते हैं हम क्योंकि इसमें शामिल हैं कोमल हाथों की थपकियां आंसुओं की भीगी पलकों की झिलमिलाती झपकियां
मां तुझमें ही है प्रथम गुरु की महिमा जिससे बनेगी एक दिन हमारे मान सम्मान की गरिमा
तुम्ही हो जननी तुम्ही सहायिका तुम्ही हो मेरे आने वाले कल की नायिका
तुम्हारे साथ हम बेहाल हो जाते हैं अंदर से निडर हो जाते हैं आखिर कैसा नशा है तुझमें मां डूब जाते हैं हम
Amrita tripathi
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Poet
Amrita Tripathi
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Nice 👍 sister
जवाब देंहटाएंGood 👍 bahan
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