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_सैनिक

Poet Amrita Tripathi



सदा खड़े रहते हैं सैनिक अपने तलवारों की नोक पर सजाते है सपने अपनी इंसानियत की सोच पर हर जुल्म सहते हैं सैनिक अपनी बंदूकों की नोक पर
होता है उनका मक़सद हर मुस्किल का हल कर देंगे कुछ भी हो यारों वतन के लिए जान कुर्बान कर देंगे
करते हैं अभिमान वतन पर दुश्मन के हर वार सहे रक्षा करने हेतु सैनिक बार्डर पर दिन रात खड़े
देस के मान सम्मान में जान अपनी लुटा देंगे कुछ ना होगा भारत को ऐसा कोहराम मचा देगें अशांति अंदर हो या बाहर हर तरफ अब जंग है दुसमनो से बचाने वाले सैनिक अब हमारे संग है


Amrita tripathi

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