"मैं अभी लिख रहा हूँ"
एक पन्ने में खतम हो जाएगी क्या ?
सोचा नहीं था।
यह कहानी इतनी ही चल पाएगी क्या ?
सोचा नहीं था।
एक पन्ने से मैं ज्यादा लिख पाऊँगा न।
काश सोच लेता।
यह कहानी और मैं लिख पाऊँगा न।
काश सोच लेता।
तू अगर कुछ और मेरा साथ देती।
तो और लिखता।
तु अगर मुझको और पढती।
तो और लिखता।
खाश थी मेरे लिए तू बहुत ज्यादा।
इसलिए धीरे लिख रहा था।
वाक्य का अर्थ कुछ और हो जाए न।
इसलिए धीरे लिख रहा था।
सोचती होगी तू, मेरी कलम थक चुकी है।
मैं अभी लिख रहा हूँ।
सोचती है क्या, तू थोड़ा और धैर्य रखना।
मैं अभी लिख रहा हूँ।
छोटी कहानी प्रख्यात होकर गुमनाम होती है।
मैं महाकाव्य लिख रहा हूँ।
तू बस धैर्य रखना।
तू बस धैर्य रखना॥
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Om Tripathi
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Shourya Paroha
Truly this poem contains a lot of emotions in itself . your words have made it alive.... excellent bhaiya��
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