राम गीत सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

राम गीत

मानवता में सर्व समर्पण, राम तुम्हीं अनुरागी थे।
तुम जिनके हिस्से आए थे, वो कितने बड़भागी थे।

सूरज की आभा के जैसे मुख पर प्रभा तुम्हारे हैं।
सुबह-सुबह सुरमई आवाज में पंछी तुम्हें पुकारे हैं।
राम तुम्हीं से जीवन सबका, तुमको सब हीं प्यारे है।
जीत गए तुमको पाकर वो जो दुनिया से हारे है।

वार दिया परहित में जीवन, ऐसे तुम महात्यागी थे।
तुम जिनके हिस्से आए थे वो कितने बडभागी थे।


नग्न पांव हीं चले राम तुम, वन में वचन निभाने को।
कितने थे तुम तपोधर्म, ना सोचा कुछ भी पाने को।
सरल दीप से जले सदा तुम, तम क्रूरता का मिटाने को।
जन को तारा, मन को मारा, हर्ष धरा पर लाने को।

करुणानिधि सुख के सागर तुम, तुम हीं तो आह्लादि थे।
तुम जिनके हिस्से आए थे वो कितने बड़भागी थे।

तुमको पाकर धन्य अवध है, धन्य ये सारी धरती है।
दशो दिशाएं झुक झुक कर तुमको प्रणाम ये करती है।
सरयू की लहरें प्रतिपल बस राम की माला जपती है।
राम तुम्हारी कृपादृष्टि इस जग की पीड़ा हरती है।

जिनके संग तुम जन्म जन्म थे , वो सारे बैरागी थे।
तुम जिनके हिस्से आए थे, वो कितने बडभागी थे।


गीतकार: कवि आदित्य मुकाती।
ग्राम: लोनारा।
जिला: खरगोन।
मध्यप्रदेश।

टिप्पणियाँ

  1. आभार आपका, आपने मेरे इस गीत को जन जन तक पहुंचाने का कार्य किया है। मैं आपका आभारी हूं।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. Very nice poem sir mujhe ek Kavita likhwani he ek topic par please mujhe mail Kare me apko message nhi kar paa rha hu

      हटाएं
    2. Kavita publish karane ke liye 9302115955 whatsapp par contact kare

      हटाएं
  2. नेहा बाजपेयी8:18 pm

    बहुत बढ़िया

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

हमें बताएं आपको यह कविता कैसी लगी।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Ummeede

_   उम्मीदें उम्मीदें इस जहाँ में बस ख़ुदा से रखना तुम साबरी इंसान कभी किसी के साथ वफ़ा नहीं करते। जो क़ैद कर ले किसी को अपनी यादों में, तो मरने तक उनको उस यादों से रिहा नहीं करते। रूह से इश्क़ करना ये बस ख़्वाबों-ख़यालों  फिल्मों में सुन रखा होगा सबने, हक़ीक़त में इस जहाँ में लोग बिना जिस्म के इश्क़ का सौदा नहीं करते। वादे करके भूल जाना तो इंसान की फ़ितरत है। यहाँ वादे ख़ुदा से भी करके लोग पूरा नहीं करते। ~ Drx Ashika sabri (Age: 22) Bsc ,D pharma Varanasi(U.P)

Chitthi

  चिट्ठी (कविता)  लिख कर चिट्ठी भेज रही हु भगत सिहं तुझे बुलाने को ,  1 बार फिर आ जाओ अपना देश बचाने को ।  छोटे छोटे बच्चे भुखे रोते रोज सीमा पर शहीद सैनिक होते  भारत मॉं पर हमले पाक चीन के होते  देश हथियाने को ,  आ जाओ अपना देश बचाने को।  रोज नए नए गठबन्धन होते नए नए नेताओ के संगम होते ,  गद्दार सब काले धन पर सोते आराम फरमाने को ,  आ जाओ अपना देश बचाने को ।  ना एकता लोगो मे आयी, भाई ने भाई की जान गवायी ,  और सरकार ने करवाई लडाई दंगे भडकाने को ,  आ जाओ अपना देश बचाने को ।  गरीबो का होता शोषण हो रहा अमीरो का पोषण ,  सरकार दे रही झूठा भाषण वोट बनाने को ,  आ जाओ अपना देश बचाने को ।  हम भारत के वासी हमारा ना ईश्वर ना कैलाशी ,  सब कुछ बस भारत मॉँ कहलाती ,  आ जाओ पाक चीन का दिल दहलाने को,  आ जाओ अपना देश बचाने को ।  ये देश ही मेरी पूजा है, भगवान है ,  शबगा है गाँव मेरा और भारती मेरा नाम है ,  मै प्रेम भाव से लिखू कविता ,  भारत के सपने नये सजाने को ,  आ जा...

Mere kridan bade surile

  मेरे क्रंदन बड़े सुरीले हैं (कविता)  जिस रोज वैदेही के अंखियो से , मेरी जडों में जल प्रपात उठ आया , उस रोज प्रकृति ने भी। कुज वसुधा की पलटी काया।। मेरी पुत्री मेरी छांव में बैठी , ऐसे विलाप के गायन ज़रा नुकीले हैं।         सुन आर्यपुत्र की माई !!                         मेरे क्रंदन बड़े सुरीले हैं ॥ पांचाली से मुझे हर लिया , सुष्म - बदन निर्झरणी को ॥ देख विप्लव मैं कलंकित हो गई , दुःशासन की करनी को ॥ पवित्र कलिंदी के गर्भ में भी, कुकर्म के विशाल टीले हैं,,         सुन आर्यपुत्र की माई !!                         मेरे क्रंदन बड़े सुरीले हैं ॥ जब वैकुण्ठ भीगो के गोढ़ , बैठे चले मुझ पे तरणी में ॥ संग अनुज- सिया रखुबर पुर जाई , मन करे छंद भर दौड़ , चुम आऊँ आज चरणी मैं ॥           कब मिलिहो  चउदा बरस बाद ?? बिन तुमरे , हो गई अयोध्या भय - सूना काल।। मेरा व्योम चुरा लेगी रजनी ये!!...