जिसको दिल में बसा लिया है, उसकी फिर हर बात सहो। रात को कहे दिन तो कह दो, दिन को काली रात कहो। क्या इश्क की बाजी खेलोगे, इसके दस्तूर निराले हैं। हार गए तो हार ही है , जीते भी तो उसको मात कहो। ये अब्र जो खुल कर बरसा है, खुद को ना बचा तू भीग भी ले। मिलती है कहां महबूबों से, रोजाना यह सौगात कहो। वो अश्क अगर दे तो पी लो, दे दर्द अगर तो सह जाओ। वो इश्क ही क्या जो दर्द न दे, और अश्कों की बरसात न हो। लाना ना कभी शिकवा लब पर, और होना मत नाराज कभी। ये जुर्म ए मुहब्बत है इसमें , वो बात क्या जो से बात न हो। ये घुटन जुदाई की सह ले, फिर देख मुहब्बत बरसेगी। ऐसा भी कभी होता है क्या, हो उमस और बरसात ना हो। महबूब ही खुदा तुम्हारा है, ये बात कभी ना बिसराना, बस उसके सजदे में बैठो, जो मिले उसे खैरात कहो। Kavi- mukta Sharma Address-Coral springs colony Meerut
Kavita,poem,shayari,suvichar Kahani,chutkule