Hamari kavita सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अगस्त, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अधूरा इश्क़

 जिसको दिल में बसा लिया है, उसकी फिर हर बात सहो। रात को कहे दिन तो कह दो, दिन को काली रात कहो। क्या इश्क की बाजी खेलोगे, इसके  दस्तूर निराले हैं। हार  गए तो हार  ही है ‌, जीते भी तो उसको मात कहो। ये अब्र जो खुल कर बरसा है, खुद को ना बचा तू भीग भी ले। मिलती है कहां महबूबों से, रोजाना यह‌ सौगात कहो। वो अश्क अगर दे तो पी लो, दे दर्द अगर तो‌ सह‌ जाओ। वो इश्क ही क्या जो दर्द न दे, और अश्कों की बरसात न हो। लाना ना कभी शिकवा लब‌ पर, और होना मत नाराज कभी। ये जुर्म ए मुहब्बत है इसमें , वो बात क्या जो से बात ‌न हो। ये घुटन जुदाई की सह‌ ले, फिर देख मुहब्बत बरसेगी।  ऐसा भी कभी होता है क्या, हो उमस और बरसात ना हो। महबूब ही खुदा तुम्हारा है, ये बात कभी ना बिसराना, बस उसके सजदे में बैठो, जो मिले उसे खैरात कहो। Kavi- mukta Sharma Address-Coral springs colony Meerut

बंदे मातरम्

 नमन मां शारदे 🙏🙏🙏 वंदे मातरम् 🙏🙏🙏   जब तक रहे हृदय में स्पंदन करती ‌रहूं‌ तुम्हारा  ही वंदन ऐ मेरे भारत के कण-कण।। मां ‌तेरा श्रंगार अलौकिक स्वयं प्रकृति ने आन किया है। और विधाता ने मां तुमको छ ऋतुओं का वरदान दिया है। स्वर्ण सरीखी रज देकर तुम्हें औषधियों की खान किया है। फल और फूल हैं ‌अमृत जैसे अन्नपूर्णा बन दिये हमें अन्न।। ऐ मेरे भारत के कण-कण।। एक‌  से एक अनोखे परबत पग पग जिनका तीरथ पावन। नदियां घाटियां झीलें अद्भुत करें कहां तक लेखनी वर्णन।। इसका तो मरूस्थल भी सुंदर और मैदानों ‌का‌‌ क्या‌‌ ही कहना। सागर  और  पठार  निराले देश  मेरा  संसार ‌ का ‌गहना। पावन  है  हर  नदी  यहां  पर और माटी है इसकी चन्दन।। ऐ मेरे भारत के कण-कण।। धूल में तेरी लोट -लोट कर हमने खुद को संवार लिया है तेरा‌ अमृत सा‌ जल‌ पी कर अपना  रूप ‌निखार लिया है नख से शिख तक रूप है ऐसा जिसका वर्णन किया ना जाए पवन  सुगंधित  सदा  तुम्हारी देश का हर आंगन महकाए।। जितना विस्तृत हृदय तुम्हारा हैं विशाल उतना ही आंगन। ऐ मेरे भारत के कण...

"रक्षाबंधन"

 फूल सा खिले तू उपवन में,  बिखरे तेरी खुशबु आंगन में।  टूटे सब जग के बंधन,  दुआओं में तेरी सलामती का करती हूँ अभि नंदन,  ये अमर रहे रक्षाबंधन।  बचपन की तेरी घुंघराले बालों वाली सूरत,  भूलूं कैसे है आज भी उन यादों की जरूरत।  मेरे जीवन की बगिया में,  तुम हो खिलता हुआ एक गुलशन।  ये... .. .. ..  ..  .. ...  ... .. .. . तेरे सामने संकट आने से पहले,  ये बहना ढाल बन जाये।  तेरा हर एक आंसु मोती बने,  तू जीवन भर यूँ ही मुस्कराए।  आज तुम्हारे उत्सव पर झूमे ये तन _मन।  ये. .... .. ...  . .. ...    ....  ... . .  Written by Tamanna kashyap,  उत्तर प्रदेश, सीतापुर। 

दोस्ती

निस्वार्थ एवम्ं शर्तहीन रिस्ता है दोस्ती।  सारे इंसानी रिश्तों मै फरिस्ता है दोस्ती।  जब मिल जाए दोस्त तो दुःख या परेशानी जाती है भाग।  हम सिर्फ हम होते है मस्ती जाती है जाग।  संगत अगर अच्छी हो तो चढ़ा देते है अर्श पर।  बुरी संगत ले आती है हम फर्श पर।  दोस्ती मै ना कोई ऑप्चरिकता ना ही दिखावा।  बस मस्ती है बचपना है और है लगाव।  जीवन की आपा धापी मै जो खो गए है हम। सच्ची दोस्ती बताती है कौन है हम।  मिल जाए सच्चे दोस्त तो हो जाए हर समस्या का निराकरण।  हम होते है असली रूप मै छूट जाता है आवरण।  दोस्ती हमें बताती है कहै गलत है हम।  ढूढ़ लेती है हमारी अच्छाई को साथ देती है हरदम।  दोस्त होते है जीवन मै अमूल्य निधि।  दोस्त की नही होती कोई परिधि।  ये वो रिश्ता है जो रक्त से नही दिल से बनता है।  दोस्ती मै न कोई बड़ा और न कोई छोटा होता है कवि- Vartika dubey

स्वतन्त्रता इस्नेहिल् पालीवाल

स्वतन्त्रता है हिंदुस्तान मै,  इसलिए है इसकी पहचान।  यह पर तो हर जीवित प्राणी,  गाते है स्वतन्त्रता के गान।  स्वतन्त्रता के लिए,  लाखों ने दी है जान।  इस जन्मभूमि के लिए, जीवन भी कुर्बान है।  स्वतन्त्रता पाने के लिए,  जवानो ने छोड़ा परिवार।  बस चिट्ठीयों मै ले पाते है,  अपने परिवार का प्यार। स्वतन्त्रता के लिए तो जवानो ने सहे है, खूब से बार।  हमारी मातृभूमि के लिए इन्होंने छोड़ा है संसार।  स्वतन्त्रता सबको प्रिये है यह चीज ही सबसे न्यारी है।  हमारी जान से ज्यादा हमें,  स्वतन्त्रता ही प्यारी है।  जवान हुए जो शहीद,  यह है बहुत बड़ी बात।  कड़ी से कड़ी टक्कर देकर,  दी उन्होंने शत्री को मात।  स्वतन्त्रता के लिए,  तुम पूरे जग से लड़ जाना,  अपने देश के लिए लड़कर,  मान सम्मान खूब पाना।  स्वतन्त्रता सबके लिए जरूरी है,  चाहे हो वह पशु पक्षी या इंसान।  क्योंकि जीवन मै तो होते रहेंगे,  गुलामी आज़ादी के इंतकाम।  कवि-इस्नेहिल पालीवाल  पता-गिरिराज व्यास पेट्रोल पं...

15 अगस्त

  पंद्रह अगस्त आ गया है याद हुई कुर्बानी लाखों भेंट चढ़ाई जिसने अपनी भरी जवानी कितने शहीदों ने जेलो में कितने कष्ट उठाए लाखों बहनों ने मिलकर जब अपने भाई लुटाए सुंदर से भी सुंदर हुई उनकी भाग्य निशानी पंद्रह अगस्त आ गया है याद हुई कुर्बानी सुंदरियों की सूख गई थी इतनी सुंदर दानी  आजादी में रंगी हुई थी भारत भाग्य निशानी आजादी की अभय राग जब गाती वही हवाएं जन-जन सब तैयार हुए जब भारत मां चिल्लाए वतन की खातिर खून बहा लेकिन हार ना मानी पंद्रह अगस्त आ गया है याद हुई कुर्बानी ब्रिटिश राज्य की बर्बरता जिसको दया ना आई इस भारत के वो सपूत मृत्यु को मात सिखाई ढाल गए भारत पर अपना वह फौलादी पानी आजादी से रंगी हुई भारत की भाग्य निशानी इसको अक्षय अमित बनाने अपनी बारी आई पंद्रह अगस्त आ गया है याद हुई कुर्बानी *विवेक दुबे सागर मध्य प्रदेश* मोबाइल  +918889850066

राम गीत

मानवता में सर्व समर्पण, राम तुम्हीं अनुरागी थे। तुम जिनके हिस्से आए थे, वो कितने बड़भागी थे। सूरज की आभा के जैसे मुख पर प्रभा तुम्हारे हैं। सुबह-सुबह सुरमई आवाज में पंछी तुम्हें पुकारे हैं। राम तुम्हीं से जीवन सबका, तुमको सब हीं प्यारे है। जीत गए तुमको पाकर वो जो दुनिया से हारे है। वार दिया परहित में जीवन, ऐसे तुम महात्यागी थे। तुम जिनके हिस्से आए थे वो कितने बडभागी थे। नग्न पांव हीं चले राम तुम, वन में वचन निभाने को। कितने थे तुम तपोधर्म, ना सोचा कुछ भी पाने को। सरल दीप से जले सदा तुम, तम क्रूरता का मिटाने को। जन को तारा, मन को मारा, हर्ष धरा पर लाने को। करुणानिधि सुख के सागर तुम, तुम हीं तो आह्लादि थे। तुम जिनके हिस्से आए थे वो कितने बड़भागी थे। तुमको पाकर धन्य अवध है, धन्य ये सारी धरती है। दशो दिशाएं झुक झुक कर तुमको प्रणाम ये करती है। सरयू की लहरें प्रतिपल बस राम की माला जपती है। राम तुम्हारी कृपादृष्टि इस जग की पीड़ा हरती है। जिनके संग तुम जन्म जन्म थे , वो सारे बैरागी थे। तुम जिनके हिस्से आए थे, वो कितने बडभागी थे। गीतकार: कवि आदित्य मुकाती। ग्राम: लोनारा। जिला: खरगोन। मध्यप्रदेश...