निस्वार्थ एवम्ं शर्तहीन रिस्ता है दोस्ती।
सारे इंसानी रिश्तों मै फरिस्ता है दोस्ती।
जब मिल जाए दोस्त तो दुःख या परेशानी जाती है भाग।
हम सिर्फ हम होते है मस्ती जाती है जाग।
संगत अगर अच्छी हो तो चढ़ा देते है अर्श पर।
बुरी संगत ले आती है हम फर्श पर।
दोस्ती मै ना कोई ऑप्चरिकता ना ही दिखावा।
बस मस्ती है बचपना है और है लगाव।
जीवन की आपा धापी मै जो खो गए है हम। सच्ची दोस्ती बताती है कौन है हम।
मिल जाए सच्चे दोस्त तो हो जाए हर समस्या का निराकरण।
हम होते है असली रूप मै छूट जाता है आवरण।
दोस्ती हमें बताती है कहै गलत है हम।
ढूढ़ लेती है हमारी अच्छाई को साथ देती है हरदम।
दोस्त होते है जीवन मै अमूल्य निधि।
दोस्त की नही होती कोई परिधि।
ये वो रिश्ता है जो रक्त से नही दिल से बनता है।
दोस्ती मै न कोई बड़ा और न कोई छोटा होता है
कवि- Vartika dubey
Bahut Hi Sundar Kavita
जवाब देंहटाएंMitrata Ke Asli Mayne Ko sa,jhti Hui Rachna
Bahut Achchhe Aise Likhte Rahiye