बिखरे तेरी खुशबु आंगन में।
टूटे सब जग के बंधन,
दुआओं में तेरी सलामती का करती हूँ अभि नंदन,
ये अमर रहे रक्षाबंधन।
बचपन की तेरी घुंघराले बालों वाली सूरत,
भूलूं कैसे है आज भी उन यादों की जरूरत।
मेरे जीवन की बगिया में,
तुम हो खिलता हुआ एक गुलशन।
ये... .. .. .. .. .. ... ... .. .. .
तेरे सामने संकट आने से पहले,
ये बहना ढाल बन जाये।
तेरा हर एक आंसु मोती बने,
तू जीवन भर यूँ ही मुस्कराए।
आज तुम्हारे उत्सव पर झूमे ये तन _मन।
ये. .... .. ... . .. ... .... ... . .
Written by Tamanna kashyap,
उत्तर प्रदेश, सीतापुर।
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