उस से क्यूँ रहा नही गया मुझ से #दर्द सहा नही गया दुर तक यह #तन्हाईयोँ का सिलसिला दिया दायरे इनकार के,,, इकरार की सरगोशियाँ दिल से भूला देने का मुझे ना कोई #गिला दिया दर्द-ऐ-तन्हाई की सारी तहे और हादसे गुजार दिये सब हो गये धुँआ एक एक वाकिया #विसार दिये #लज्जत-ऐ-वस्ल से भी बढ कर है मजा इक सफीना सा है तेरी तन्हाई की सजा दिल में छिपे हसरतों के #मयखाने सजते रहे हिचँकिया रात भर #दर्द-ऐ-तन्हाई बजते रहे उस से क्यूँ रहा नही गया मुझ से #दर्द सहा नहीं गया Written by डाँ मोहन लाल अरोड़ा ऐलनाबाद सिरसा 26-10-2020 9896853750 Posted by Om Tripathi
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