आओ मिलकर आज करें हम, स्त्री प्रसंग विमर्श।
मनुज प्रकृति प्राणीमात्र का,जिस बिन ना उत्कर्ष।।
पौरुष केवल बीज मात्र है, स्त्री अखिल है सृष्टि।
जन्मदात्री पोषणकर्ता, है संपूर्ण ब्रह्मांड समष्टि।।
पुरुष यदि पदार्थ मुख्य है, स्त्री है उत्कृष्ट ऊर्जा।
कोख में धारण करें तभी तो, बनता पुर्जा पुर्जा।।
स्वदुग्ध और लहू से करती,वह संतान का पालन।
निर्बल नहीं निर्मात्री है स्त्री, योग्य सदा आराधन।।
मातु भगिनी दार रुप में, सदा पुरुष का सहयोगी।
कलुषित दृष्टि डाल रहे जो, वो नितांत मनोरोगी।।
Rajendra Sharma "राज"
09.11.2020
आओ मिलकर आज करें हम, स्त्री प्रसंग विमर्श।
मनुज प्रकृति प्राणीमात्र का,जिस बिन ना उत्कर्ष।।
पौरुष केवल बीज मात्र है, स्त्री अखिल है सृष्टि।
जन्मदात्री पोषणकर्ता, है संपूर्ण ब्रह्मांड समष्टि।।
पुरुष यदि पदार्थ मुख्य है, स्त्री है उत्कृष्ट ऊर्जा।
कोख में धारण करें तभी तो, बनता पुर्जा पुर्जा।।
स्वदुग्ध और लहू से करती,वह संतान का पालन।
निर्बल नहीं निर्मात्री है स्त्री, योग्य सदा आराधन।।
मातु भगिनी दार रुप में, सदा पुरुष का सहयोगी।
कलुषित दृष्टि डाल रहे जो, वो नितांत मनोरोगी।।
Written by
Rajendra Sharma "राज"
Posted by
Om Tripathi
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