वो पहाड़ों की हरियाली
वो खेतों की हरियाली,
अब देखने को नहीं मिलती।।
कभी आबाद हुआ करते थे गांव वहां,
मगर अब उन गांवों की आबादी देखने को नहीं मिलती।
वो लोगों का साथ- साथ उठना- बैठना,
साथ में कभी-कभी लड़ना- झगड़ना।
मगर कुछ दिनों बाद फिर एक हो जाना न जाने कहां खो गया है,
वो लोगों की हंसी अब देखने को नहीं मिलती।।
बच्चों का स्कूल जाना और घर आने के बाद उछलना कूदना,
बातों बातों पर हंसना वो रोना आज एक सपना सा लगता है।
क्योंकि सब चले गए पहाड़ को छोड़कर
जहां पे कभी लोगों में प्यार वो अपनापन दिखाई देता था।
वो प्यार वो अपनापन अब लोगों में देखने को नहीं मिलता।।
Written by
Deepanshu Pandey
Palyoun, Almora
Uttrakhand
Posted by
Om Tripathi
Amazing bro keep working and go ahead
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