नानी
मां की भी मां, जिसे कहते है नानी
जितनी प्यारी मां, उससे अधिक नानी,
मां की हूं लाडली, नानी की हूं नूर,
भाग्य से ही मिली है, ऐसी नानी हुजूर।
जब भी जाती ननिहाल, प्यार अटूट वो करती,
पलकों पर बिठाए रखती, लाड असीम करती।
मुझसे ज्यादा वो खुश होती, जब में वहां होती,
गोदी में बिठा, निहारती और दुलारती होती।
मुझे देख प्रफुलित हो जाती,
बच्चों जैसे घुलमिल जाती,
अच्छे - अच्छे पकवान बनाती,
दूध - मलाई मुझे खिलाती,
रूखा - सुखा ही खुद पाती।
उम्र का जखीरा अब झलक रहा है,
सीधा खड़ा होना अब अखर रहा है,
झुक गई है कमर,
कम हो गई है नज़र,
जमाने का असर सहस दिख रहा है,
जिंदगी का दिया बुझ सा रहा है।
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Publisher
Om Tripathi
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