जीवन संगिनी
उलझन भरा था बचपन इनका,
कभी खुशी तो कभी गम में बीता बचपन जिनका,
एक बहन के बाद का जन्म था इनका,
नाम रखा लाजवंती जिनका।
शानो शौकत से की पढ़ाई गोवा में,
पिता जो थे कांट्रेक्टर वहां में,
फिर आया इक प्यारा सा भाई,
जिसे देख ये बहुत हर्षाई।
जीवन व्यतीत हो रहा था अच्छा,
क्योंकि आपस में जो था प्यार सच्चा,
फिर अचानक लग गया खुशियों पर ग्रहण,
पिता से जो बिल्कुल नही हूवा सहन।
मामा के संग सभी आ गए जोधपुर,
ट्यूशन पढ़ा किया गुजर - बसर,
भाई - बहन ने मेहनत में नही छोड़ी कोई कसर,
जिसका जल्द ही हुवा असर।
फिर शुरू हुआ शादी का सफर,
मुझसे कर शादी बनाया हमसफर,
बिना सास के पति का घर संवारा,
ननद, देवर और ससुर के संग वक्त गुजारा।
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