Dukh Ka Dard सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Dukh Ka Dard

_दुख का र्दद



दिन हमने भी खूब दुख भरे देखें हैं।

भूखी माँ को बच्चों का पेट भरते देखें हैं।।

भगवान उसे हर रोज़ सताते थे फिर भी 

मां को उनको हर सुबह पूजते देखें हैं।।


टूटी झोपड़ी और बारिश का मौसम थी।

छाते पकड़ कर मां झोपड़ी में रहती थी।।


छाते के निचे बच्चों को सोलाते देखें हैं।

हां मैंने मां को रात भर भीगते जागते देखें हैं।।

मज़बूर हो के मां को तीन साल के बच्चें के साथ,

पटरी पे सोते देखें हैं।।


मंजर इतना भयानक की, मां कि मुस्कान के पीछे आंसुओ का सुनामी देखें हैं।

जीना दुश्वार हुआ इतना की, आंखों कि आसूं को सूखते हमनें देखें हैं।।

साथ कोई नहीं था, तीन साल के बच्चें को मां की हिम्मत बनते देखें हैं।


किस से बदला लें,हमनें अपनो को अपनो से लड़ते देखें हैं।

सयुक्त परिवार को हमनें टुकड़ों में बटतें भिखरते देखें हैं ।।

अपनो को अपनो के साथ दुश्मन सा वार्तब करते देखें हैं।

एक ही घर में सब के साथ होते हुऐ भी हमने कोसों की दूरी 

देखें हैं।।

हा हमनें भी खूब दुःख भरे दिन देखें हैं।।



नाम  : देव कुमार

पिता का नाम  : अनिल पासवान

माता का नाम : प्रमिला देवी 

जन्म भूमि  : मुजफ्फरपुर, बिहार 

छात्र : हिन्दी IMA, हैदराबाद विश्वविद्यालय

Poet



टिप्पणियाँ

  1. बेनामी6:53 am

    मुझे भी अपनी कविता छपानी है कैसे प्रकाशित होगी अपना फ़ोन नंबर दो

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

हमें बताएं आपको यह कविता कैसी लगी।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Ummeede

_   उम्मीदें उम्मीदें इस जहाँ में बस ख़ुदा से रखना तुम साबरी इंसान कभी किसी के साथ वफ़ा नहीं करते। जो क़ैद कर ले किसी को अपनी यादों में, तो मरने तक उनको उस यादों से रिहा नहीं करते। रूह से इश्क़ करना ये बस ख़्वाबों-ख़यालों  फिल्मों में सुन रखा होगा सबने, हक़ीक़त में इस जहाँ में लोग बिना जिस्म के इश्क़ का सौदा नहीं करते। वादे करके भूल जाना तो इंसान की फ़ितरत है। यहाँ वादे ख़ुदा से भी करके लोग पूरा नहीं करते। ~ Drx Ashika sabri (Age: 22) Bsc ,D pharma Varanasi(U.P)

Chitthi

  चिट्ठी (कविता)  लिख कर चिट्ठी भेज रही हु भगत सिहं तुझे बुलाने को ,  1 बार फिर आ जाओ अपना देश बचाने को ।  छोटे छोटे बच्चे भुखे रोते रोज सीमा पर शहीद सैनिक होते  भारत मॉं पर हमले पाक चीन के होते  देश हथियाने को ,  आ जाओ अपना देश बचाने को।  रोज नए नए गठबन्धन होते नए नए नेताओ के संगम होते ,  गद्दार सब काले धन पर सोते आराम फरमाने को ,  आ जाओ अपना देश बचाने को ।  ना एकता लोगो मे आयी, भाई ने भाई की जान गवायी ,  और सरकार ने करवाई लडाई दंगे भडकाने को ,  आ जाओ अपना देश बचाने को ।  गरीबो का होता शोषण हो रहा अमीरो का पोषण ,  सरकार दे रही झूठा भाषण वोट बनाने को ,  आ जाओ अपना देश बचाने को ।  हम भारत के वासी हमारा ना ईश्वर ना कैलाशी ,  सब कुछ बस भारत मॉँ कहलाती ,  आ जाओ पाक चीन का दिल दहलाने को,  आ जाओ अपना देश बचाने को ।  ये देश ही मेरी पूजा है, भगवान है ,  शबगा है गाँव मेरा और भारती मेरा नाम है ,  मै प्रेम भाव से लिखू कविता ,  भारत के सपने नये सजाने को ,  आ जा...

Mere kridan bade surile

  मेरे क्रंदन बड़े सुरीले हैं (कविता)  जिस रोज वैदेही के अंखियो से , मेरी जडों में जल प्रपात उठ आया , उस रोज प्रकृति ने भी। कुज वसुधा की पलटी काया।। मेरी पुत्री मेरी छांव में बैठी , ऐसे विलाप के गायन ज़रा नुकीले हैं।         सुन आर्यपुत्र की माई !!                         मेरे क्रंदन बड़े सुरीले हैं ॥ पांचाली से मुझे हर लिया , सुष्म - बदन निर्झरणी को ॥ देख विप्लव मैं कलंकित हो गई , दुःशासन की करनी को ॥ पवित्र कलिंदी के गर्भ में भी, कुकर्म के विशाल टीले हैं,,         सुन आर्यपुत्र की माई !!                         मेरे क्रंदन बड़े सुरीले हैं ॥ जब वैकुण्ठ भीगो के गोढ़ , बैठे चले मुझ पे तरणी में ॥ संग अनुज- सिया रखुबर पुर जाई , मन करे छंद भर दौड़ , चुम आऊँ आज चरणी मैं ॥           कब मिलिहो  चउदा बरस बाद ?? बिन तुमरे , हो गई अयोध्या भय - सूना काल।। मेरा व्योम चुरा लेगी रजनी ये!!...