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Sachhi Lagan

_ सच्ची लगन



नेहा की आदत बचपन से कुछ अच्छा कुछ अलग करने की थी लेकिन अभी उसकी पढ़ाई पूरी ही नहीं हुईं उसके घरवाले उसकी सादी जल्दी ही कर दिए वह अपने ससुराल चली गई ससुराल के पारिवारिक जीवन में वह लगातार व्यस्त हो गईं उसकी सारी दुनिया एक कोने में बदल गई पति के व्यस्त होने के कारण वो अपनी सोच को बता नही पा रही थी और कुछ समय बच्चो को पालने में चला गया अब तो कैसे नेहा ने समझौता कर लिया हो की कुछ नहीं हो सकता है एक दिन अचानक टीवी चैनल देख कर उसे एक उससे संबंधित काम मिला उसने चुपचाप फार्म जमा कर दीया फीर कुछ दिनों में एक आदमी घर पर आया नेहा को बुलाकर कहा आपकी जॉब लगी है मेम कब ज्वाइन करना है आपको इतना सुनकर उसके घरवाले बहुत ज्यादा खुश हुए और उसे जॉब करने से मना नही किए उसकी सास ने कहा अच्छा लगा बहु जो तुमने नाम रोशन किया एसी बहु भगवान सबको दे इस कहानी से सीख मिलती है की समय जो भी हो लगन होना चाहिए कभी भी सपने पूरे होते हैं


Amrita tripathi



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