_स्त्री
आज घर में आई एक नन्ही परी मंद मंद मुस्कान बिखेरती है कभी कभी
कोई कुछ कहे घर में फिर भी खूबसूरती का ताज बनकर सबको लुभाती ज्यादा हंसने पर मना करता है घर क्योंकि वह अब बड़ी हो गई है और समझदार भी
उसके साथ समाज कैसा भी व्यवहार करे रोना नहीं जानती हैं
मुस्कराहट के पीछे हर दर्द आंखों में छिपाती है
अब वो बड़ी है इतनी बड़ी की जिंदगी के फैसले खुद ले सके
उसे भी वह परिवार पर थोपती है
परिवार ने बनाया उसे आज दुलहन
अब सुना होगा उसका घर आंगन
फिर भी बांटना चाहती हैं खुशी की लोग आगे बढ़ कर उसे आशीर्वाद दे उस नई नवेली दुल्हन को जो आज विदा हो चली हैं
एक दिन नन्ही परी आज अलविदा हो चली हैं
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Om Tripathi
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Shourya Paroha
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Bahut achchi kavita hai bahan
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