Dalali सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Dalali

 *दलाली

Poem by Dinesh kumar


'शहर में हमने खरीदी थी एक जमीन।

वह निकली मेरी बर्बादी की मशीन।'


'हमने सोचा हम यहां आबाद हो जाएंगे।

हमको क्या मालूम था कि हम यहां बरबाद हो जाएंगे।'


'हमको क्या मालूम था कि ये बेईमानों की नगरी है।

ये दही और दूध की नहीं पापों की गगरी है।'


'जिसने हमको जमीन दिलाई वो दलाल निकला।

बड़ा निकम्मा, चालबाज, बेईमान निकला।'


'उसने अपने मकान में एक कमरा किराए पर उठाया।

हमने उसके मकान में एक विद्यार्थी बसाया।'


'विद्यार्थी ने सोचा खर्चे के लिए क्यों ना पढ़ा दे ट्यूशन।

इससे घर वालों को खर्चे का कोई नहीं रहेगा टेंशन।'


'एक दिन मालिक ने कहा यहां तुम क्या करते हो।

मेरे ही मकान में तुम ट्यूशन पढ़ाते हो।'


'अगर तुमको मेरे मकान में पढ़ाना है ट्यूशन।

तो हमें भी तुमको देना होगा कमीशन।'


'मैंने सोचा यह कैसा अजीब शहर है।

यहां गरीबों पे, किरायेदारों पे, दलालों का कहर है।'


'मैंने सोचा तीर्थस्थल है त्रिवेणी का  शहर है।

लेकिन ऐसा कुछ नहीं था ये दलालों का शहर है।'

👉हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें👈

Poet

Dinesh kumar

EDUCATION :
ADDRESS :Mohanganj ashapur Ruru amethi

आर्थिक मदद
 8756391239765@paytm
धन्यवाद



From Amethi          



Publisher

Om Tripathi

Contact No. 9302115955
आप भी अगर साहित्य उत्थान के इस प्रयास में अपनी मदद देना चाहते हैं तो UPI ID. 9302115955@paytm पर अपनी इच्छा अनुसार राशि प्रदान कर सकते हैं।

Social Media Manager

Shourya Paroha

अगर आप अपनी कविता प्रकाशित करवाना चाहते हैं तो आप व्हाट्सएप नंबर 7771803918 पर संपर्क करें।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Ummeede

_   उम्मीदें उम्मीदें इस जहाँ में बस ख़ुदा से रखना तुम साबरी इंसान कभी किसी के साथ वफ़ा नहीं करते। जो क़ैद कर ले किसी को अपनी यादों में, तो मरने तक उनको उस यादों से रिहा नहीं करते। रूह से इश्क़ करना ये बस ख़्वाबों-ख़यालों  फिल्मों में सुन रखा होगा सबने, हक़ीक़त में इस जहाँ में लोग बिना जिस्म के इश्क़ का सौदा नहीं करते। वादे करके भूल जाना तो इंसान की फ़ितरत है। यहाँ वादे ख़ुदा से भी करके लोग पूरा नहीं करते। ~ Drx Ashika sabri (Age: 22) Bsc ,D pharma Varanasi(U.P)

Chitthi

  चिट्ठी (कविता)  लिख कर चिट्ठी भेज रही हु भगत सिहं तुझे बुलाने को ,  1 बार फिर आ जाओ अपना देश बचाने को ।  छोटे छोटे बच्चे भुखे रोते रोज सीमा पर शहीद सैनिक होते  भारत मॉं पर हमले पाक चीन के होते  देश हथियाने को ,  आ जाओ अपना देश बचाने को।  रोज नए नए गठबन्धन होते नए नए नेताओ के संगम होते ,  गद्दार सब काले धन पर सोते आराम फरमाने को ,  आ जाओ अपना देश बचाने को ।  ना एकता लोगो मे आयी, भाई ने भाई की जान गवायी ,  और सरकार ने करवाई लडाई दंगे भडकाने को ,  आ जाओ अपना देश बचाने को ।  गरीबो का होता शोषण हो रहा अमीरो का पोषण ,  सरकार दे रही झूठा भाषण वोट बनाने को ,  आ जाओ अपना देश बचाने को ।  हम भारत के वासी हमारा ना ईश्वर ना कैलाशी ,  सब कुछ बस भारत मॉँ कहलाती ,  आ जाओ पाक चीन का दिल दहलाने को,  आ जाओ अपना देश बचाने को ।  ये देश ही मेरी पूजा है, भगवान है ,  शबगा है गाँव मेरा और भारती मेरा नाम है ,  मै प्रेम भाव से लिखू कविता ,  भारत के सपने नये सजाने को ,  आ जा...

Mere kridan bade surile

  मेरे क्रंदन बड़े सुरीले हैं (कविता)  जिस रोज वैदेही के अंखियो से , मेरी जडों में जल प्रपात उठ आया , उस रोज प्रकृति ने भी। कुज वसुधा की पलटी काया।। मेरी पुत्री मेरी छांव में बैठी , ऐसे विलाप के गायन ज़रा नुकीले हैं।         सुन आर्यपुत्र की माई !!                         मेरे क्रंदन बड़े सुरीले हैं ॥ पांचाली से मुझे हर लिया , सुष्म - बदन निर्झरणी को ॥ देख विप्लव मैं कलंकित हो गई , दुःशासन की करनी को ॥ पवित्र कलिंदी के गर्भ में भी, कुकर्म के विशाल टीले हैं,,         सुन आर्यपुत्र की माई !!                         मेरे क्रंदन बड़े सुरीले हैं ॥ जब वैकुण्ठ भीगो के गोढ़ , बैठे चले मुझ पे तरणी में ॥ संग अनुज- सिया रखुबर पुर जाई , मन करे छंद भर दौड़ , चुम आऊँ आज चरणी मैं ॥           कब मिलिहो  चउदा बरस बाद ?? बिन तुमरे , हो गई अयोध्या भय - सूना काल।। मेरा व्योम चुरा लेगी रजनी ये!!...