*दलाली*
'शहर में हमने खरीदी थी एक जमीन।
वह निकली मेरी बर्बादी की मशीन।'
'हमने सोचा हम यहां आबाद हो जाएंगे।
हमको क्या मालूम था कि हम यहां बरबाद हो जाएंगे।'
'हमको क्या मालूम था कि ये बेईमानों की नगरी है।
ये दही और दूध की नहीं पापों की गगरी है।'
'जिसने हमको जमीन दिलाई वो दलाल निकला।
बड़ा निकम्मा, चालबाज, बेईमान निकला।'
'उसने अपने मकान में एक कमरा किराए पर उठाया।
हमने उसके मकान में एक विद्यार्थी बसाया।'
'विद्यार्थी ने सोचा खर्चे के लिए क्यों ना पढ़ा दे ट्यूशन।
इससे घर वालों को खर्चे का कोई नहीं रहेगा टेंशन।'
'एक दिन मालिक ने कहा यहां तुम क्या करते हो।
मेरे ही मकान में तुम ट्यूशन पढ़ाते हो।'
'अगर तुमको मेरे मकान में पढ़ाना है ट्यूशन।
तो हमें भी तुमको देना होगा कमीशन।'
'मैंने सोचा यह कैसा अजीब शहर है।
यहां गरीबों पे, किरायेदारों पे, दलालों का कहर है।'
'मैंने सोचा तीर्थस्थल है त्रिवेणी का शहर है।
लेकिन ऐसा कुछ नहीं था ये दलालों का शहर है।'
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Poet
Dinesh kumar
Publisher
Om Tripathi
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Social Media Manager
Shourya Paroha
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