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जनवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Beti

_  बेटी बेटी से बढ़कर क्या है जग में,🌍 बेटी है तो हर सुख है दिल में।❤ बेटी जब बड़ी हो जाती,🙌 जीवन समेटे खड़ी हो जाती।🌹 सारा जीवन दुख ले जाती,😌 इसीलिए वह बेटी कहलाती।🙇 बेटी है जो सम्मान बढ़ाती ,💐 गम के आंसू यूं ही पी जाती ।🙇 मां-बाप को यह हर बात सताती, घर से बेटी कब अलग हो जाती।🚸 बेटी से तो संसार बचा है,🌎🌊 बेटी से ही परिवार बना है।👪 और महान कार्य वह तब कर जाती,❤ जब वीर लक्ष्मी बाई बन जाती।।🔥 Written by Vishal Rastogi .. 👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet Vishal Rastogi  EDUCATION : ADDRESS :Biswan Sitapur kaithi tola  Publisher Om Tripathi Contact No. 9302115955 आप भी अगर साहित्य उत्थान के इस प्रयास में अपनी मदद देना चाहते हैं तो UPI ID. 9302115955@paytm पर अपनी इच्छा अनुसार राशि प्रदान कर सकते हैं। Social Media Manager Shourya Paroha अगर आप अपनी कविता प्रकाशित करवाना चाहते हैं तो आप व्हाट्सएप नंबर 7771803918 पर संपर्क करें।

Vakt

_ वक्त.     यहि वक्त कै होत विचित्र गती,  कबौ ठीक चलै कबौ ठीक नहीं।।  सदी बीसवीं याद करी कछु तौ,  कश्मीरनु हालि जो ठीक नहीं ।।   उन्नीसु जनौरी यही दिन था,  जौ वदवक्त बयारि बही।।   लाज लिहाज ठिकानों छुट्यौ,   विधिना ऊ बयारू विचित्र रही।।   वक्त हटा सरकारू हटी,   कश्मीरु कै हालि पुरानि नही।।   जमीन वही जो कि स्वर्ग रही,   केसर कश्मीरु बखानु कही।।   मनुष्य नहीं बलवान कबौ,   बस वक्त सदा बलवान रहा।।  अर्जुन भी वही लंकेश वही,   यहय चंचल वक्त बखानु कही।। 👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet Ramesh kumar Dwivedi EDUCATION : ADDRESS :Sultanpur, MP Publisher Om Tripathi Contact No. 9302115955 आप भी अगर साहित्य उत्थान के इस प्रयास में अपनी मदद देना चाहते हैं तो UPI ID. 9302115955@paytm पर अपनी इच्छा अनुसार राशि प्रदान कर सकते हैं। Social Media Manager Shourya Paroha अगर आप अपनी कवि...

Nav varsh

_नव वर्ष    आ रहा है नया वर्ष, नई उम्मीद है और नए सपने,  इस बार हम भी कुछ नया कर जाएं।  सभी को नव वर्ष की मंगल शुभकामनाएं।  आओ इस बार किसी रोते हुए को हंँसाएँ।  किसी भूखे को भरपेट भोजन कराएंगे।  किसी एक के दिल में भी उम्मीद जगाएँ।  सभी को - - - - - - जीवन को इस बार नए नजरिए से देखें हम,  मृत्यु है अटल सत्य किसी के जीने की वजह बन जाए अपने और पराए के भेद को मिटाएंँ।  सभी - - - -  -  क्या हुआ जो पूरे नहीं हुए सपने,  क्या हुआ जो साथ नहीं है अपने,  तो क्या हम सपने देखना भूल जाएंँ ।  सभी - - - - - - असफलता से सबक लें सफलता की ओर चलें , चाहे जैसी हो परिस्थिति हमेशा मुस्कुराएँ।  अंधेरों से ना डरें एक दिया तो जलाएंँ।   सभी - - - - - -

Sasuraal

_ससुराल  क्या है ससुराल,  रिश्तों का माया जाल।  तू चलना जरा संभाल,  नहीं तो गिरना है तत्काल।  अपना घर तो सपना है,  तानो से रोज गुजरना है।  सास यहाँ की डीएम है,  उसके सारे नियम है।  ससुर यहाँ पर जेलर है,  बाहर निकलना आज्ञा लेकर है।  देवर जी का तो अलग रुतबा है,  उनसे डरता सारा कस्बा है।  ननद, जेठानी रोज हवन करवाएं,  आग में चुगली का घी डलवाएँगे।  पति देव का कहना ही क्या,  उनकी मर्जी के बिना रहना ही क्या।  जो वो कहे कर जाओ तुम,  हमारा जीवन बस कठपुतली है।  जिसकी डोर दूसरों के हाथों में है।  अपनी डोर अब उनसे छुडानी है।  अब अपनी मर्जी चलानी है।  👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet Vartika Dubey EDUCATION :B.A, BTC ADDRESS :Prataapgarh Publisher Om Tripathi Contact No. 9302115955 आप भी अगर साहित्य उत्थान के इस प्रयास में अपनी मदद देना चाहते हैं तो UPI ID. 9302115955@paytm पर अपनी इच्छा अनुसार राशि प्रदान कर सकते हैं। So...

Paisa

_ पैसा माना की बहुत जरूरी हूँ,  पर रिश्तों से दूरी भी हूँ।  मैं पैसा हूँ,  रोगी के लिए अमृत हूँ तो,  भोगी के लिए विष समान हूँ।  मैं पैसा हूँ,  जिसके पास नहीं मैं,  वो मुझे पाने की सोचता है।  हूँ जिसके पास वो मुझे बचाने में नींद खोता है।  मंदिर में जिसका जितना चलाना,  वैसे दर्शन मिलते हैं।  क्या भगवान भी प्रसाद का वजन तौलते हैं।  मैं पैसा हूँ,  संस्कारी के पास रहूँ तो वे मेरा मान बढाते हैं।  हूँ यदि व्यभिचारी के पास तो सब कुछ बरबाद कर जाता हूँ- मैं पैसा हूँ,  माता पिता के पास रहूँ,  तो बच्चों से  सेवा करवाता हूँ।  हूँ यदि बच्चों के पास तो उन्हें तिरस्कार पाता हूँ।  मैं पैसा हूँ,  मेरे लिए हर कोई हैरान और परेशान है।  टिकता उसके पास हूँ जहाँ दिल और दिमाग समान है।  मैं पैसा हूँ----- 👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet Vartika Dubey EDUCATION : ADDRESS :  Pratapgarh Varanasi Publisher Om Tripathi Contact No. 9302115955 आप भी ...

Me abhi likh rha hu

" मैं अभी लिख रहा हूँ"   एक पन्ने में खतम हो जाएगी क्या ?               सोचा नहीं था।  यह कहानी इतनी ही चल पाएगी क्या ?                सोचा नहीं था।  एक पन्ने से मैं ज्यादा लिख पाऊँगा न।                काश सोच लेता।  यह कहानी और मैं लिख पाऊँगा न।                काश सोच लेता।  तू अगर कुछ और मेरा साथ देती।               तो और लिखता।  तु अगर मुझको और पढती।               तो और लिखता ।  खाश थी मेरे लिए तू बहुत ज्यादा।              इसलिए धीरे लिख रहा था।  वाक्य का अर्थ कुछ और हो जाए न।              इसलिए धीरे लिख रहा था।  सोचती होगी तू, मेरी कलम थक चुकी है।                मैं अभी लिख रहा हूँ।  स...