मजदूर को मजबूर बना दिया हमने,
भूखा प्यासा उन्हें सड़कों पे ला दिया हमने।
जिन्होंने बनाई सड़कें गाड़ियां व इमारतें,
उन्हें घर की आस में, चिर निद्रा में सुला दिया हमने।
आत्म निर्माण भारत बनने की राह में ,
कई कृष्णाओं को अनाथ बना दिया हमने।
स्वाभिमान से करके खाने वालों को,
दान व कर्ज का मोहताज बना दिया हमने।
उनका बलिदान व ह्रदय विदारक मौत बनी राजनीति,
उन्हें सिर्फ चर्चा का विषय बना दिया हमने।
कब जागेगी हमारी इंसानियत और हम,
भारत के निर्माताओं को गम से चूर बना दिया हमने।
एक दिव्यांग बच्चे के पिता को,
वात्सल्य वस चोर बना दिया हमने।
मजदूर को मजबूर बना दिया हमने॥
Written by
Vartika Dubey
(M.A ,B.ed)
Phulpur, Praayagraaj
Posted by
Om Tripathi
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