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माँ


 


हर एक कपडे का तुकडा माँ का आँचल हो नही सकता 

माँ की जो ममता है वो कही खो नही सकता । जो मेरे जिस्म से आती हे खूशबू वो माँ कि है मेरी 

चाहे कोई भी कीतना वो दूर हो नही सकता ।

       ये जो दिल मे है मेरे वो आज बया करती हु 

       माँ से प्यार करती हु माँ पे ही मै मरती हु 

उठे हाथ कभी मेरा ईबादत के वास्ते

मांगु तुझसे वर मे इतना जो मेरे रब दे 

ना हो कोई सुबह ना कोई भी शाम हो 

जीसपे लीखा ना मेरे माँ का नाम हो ।


Written by

Pratima Suresh Mahto

mahtopratima9054r@gmail.com


Posted by

Om TRIPATHI

टिप्पणियाँ

  1. लाजवाब प्रस्तुति जी

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  2. Aapki Kavita bhut hi achhi he aapki bhavna bhut hi achhi he aapki Kavita jald hi or sari daliye hame aapki Kavita ka intjar rahega . Aapki kavita se hme bhut hi prerna milti he

    जवाब देंहटाएं
  3. Hello mam mera nam mr. diyvesh shrma he . mujhe aapki kavita bhut achhi lagi or aapki kavita me jo matru prem he vo saf najar aa rha he . me bhi apni ma se bhut prem karta hu or ye kavita me unko dedicate karna chahunga . mujhe aasha he aap jald hi or nayi kavita hame padhne ka avsar dengi. or aapki mere alfaz kavita uska koi jvab hi nahi mam bhut hi achhi kavita he . Mam meri itni ichha he agar aap mera comment kabhi bhi dekhe to please mujhe 1 reply jarur jrur kre mam .

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