रंग रूप में भेद भाव सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

रंग रूप में भेद भाव


 


 🌿🌿जाहा आस लगाई वही पर निराशा मिली 🌿🌿

🍃🍃जितनी रोशनी कि और गई इतना ही अंधेरा मिला 🌿🌿

😞😞डर लगता है इस अंधरे मे खो ना जाऊ किस्मत को कया मजुर है पता नही लेकिन कही इस समाज के काला गोरा सुदंर बदसूरत भेदभाव के ताने मे कही खुद को खो ना दु🍃🍃

🌿🌿कयोकि ज्यादा यहा सकल सुरत देखी जाती है किसी का सचा दिल नही 🌿🌿

🍃🍃 अब खोना कया पाना कया अब तो सारी उम्र रोना है 🌿🌿

🍃🍃रोना भी एसा आॅसु बाहार ना आए अगर छलक पडे आसु पोछने बाला कोई नही मजाक उठाने बाले हजारो होगे 🌿🌿

🍃🍃इसि भेदभाव को सहते हुए जमाने को यह बतलाना है सकल सुरत से ज्यादा इंसान का गुण और सच्चा दिल देखो 🌿🌿

🍃🍃 या मतलब भरी दुनिया चहरो पर ज्यादा मरती है गुणों पर नही 🌿🌿🌿


Written by         

Ritu kavar   

Anoopshehar,

Bhadra,Hanumangar

(Rajasthan) 

Posted by

-Om Tripathi

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Ummeede

_   उम्मीदें उम्मीदें इस जहाँ में बस ख़ुदा से रखना तुम साबरी इंसान कभी किसी के साथ वफ़ा नहीं करते। जो क़ैद कर ले किसी को अपनी यादों में, तो मरने तक उनको उस यादों से रिहा नहीं करते। रूह से इश्क़ करना ये बस ख़्वाबों-ख़यालों  फिल्मों में सुन रखा होगा सबने, हक़ीक़त में इस जहाँ में लोग बिना जिस्म के इश्क़ का सौदा नहीं करते। वादे करके भूल जाना तो इंसान की फ़ितरत है। यहाँ वादे ख़ुदा से भी करके लोग पूरा नहीं करते। ~ Drx Ashika sabri (Age: 22) Bsc ,D pharma Varanasi(U.P)

Chitthi

  चिट्ठी (कविता)  लिख कर चिट्ठी भेज रही हु भगत सिहं तुझे बुलाने को ,  1 बार फिर आ जाओ अपना देश बचाने को ।  छोटे छोटे बच्चे भुखे रोते रोज सीमा पर शहीद सैनिक होते  भारत मॉं पर हमले पाक चीन के होते  देश हथियाने को ,  आ जाओ अपना देश बचाने को।  रोज नए नए गठबन्धन होते नए नए नेताओ के संगम होते ,  गद्दार सब काले धन पर सोते आराम फरमाने को ,  आ जाओ अपना देश बचाने को ।  ना एकता लोगो मे आयी, भाई ने भाई की जान गवायी ,  और सरकार ने करवाई लडाई दंगे भडकाने को ,  आ जाओ अपना देश बचाने को ।  गरीबो का होता शोषण हो रहा अमीरो का पोषण ,  सरकार दे रही झूठा भाषण वोट बनाने को ,  आ जाओ अपना देश बचाने को ।  हम भारत के वासी हमारा ना ईश्वर ना कैलाशी ,  सब कुछ बस भारत मॉँ कहलाती ,  आ जाओ पाक चीन का दिल दहलाने को,  आ जाओ अपना देश बचाने को ।  ये देश ही मेरी पूजा है, भगवान है ,  शबगा है गाँव मेरा और भारती मेरा नाम है ,  मै प्रेम भाव से लिखू कविता ,  भारत के सपने नये सजाने को ,  आ जा...

Mere kridan bade surile

  मेरे क्रंदन बड़े सुरीले हैं (कविता)  जिस रोज वैदेही के अंखियो से , मेरी जडों में जल प्रपात उठ आया , उस रोज प्रकृति ने भी। कुज वसुधा की पलटी काया।। मेरी पुत्री मेरी छांव में बैठी , ऐसे विलाप के गायन ज़रा नुकीले हैं।         सुन आर्यपुत्र की माई !!                         मेरे क्रंदन बड़े सुरीले हैं ॥ पांचाली से मुझे हर लिया , सुष्म - बदन निर्झरणी को ॥ देख विप्लव मैं कलंकित हो गई , दुःशासन की करनी को ॥ पवित्र कलिंदी के गर्भ में भी, कुकर्म के विशाल टीले हैं,,         सुन आर्यपुत्र की माई !!                         मेरे क्रंदन बड़े सुरीले हैं ॥ जब वैकुण्ठ भीगो के गोढ़ , बैठे चले मुझ पे तरणी में ॥ संग अनुज- सिया रखुबर पुर जाई , मन करे छंद भर दौड़ , चुम आऊँ आज चरणी मैं ॥           कब मिलिहो  चउदा बरस बाद ?? बिन तुमरे , हो गई अयोध्या भय - सूना काल।। मेरा व्योम चुरा लेगी रजनी ये!!...