🌿🌿जाहा आस लगाई वही पर निराशा मिली 🌿🌿
🍃🍃जितनी रोशनी कि और गई इतना ही अंधेरा मिला 🌿🌿
😞😞डर लगता है इस अंधरे मे खो ना जाऊ किस्मत को कया मजुर है पता नही लेकिन कही इस समाज के काला गोरा सुदंर बदसूरत भेदभाव के ताने मे कही खुद को खो ना दु🍃🍃
🌿🌿कयोकि ज्यादा यहा सकल सुरत देखी जाती है किसी का सचा दिल नही 🌿🌿
🍃🍃 अब खोना कया पाना कया अब तो सारी उम्र रोना है 🌿🌿
🍃🍃रोना भी एसा आॅसु बाहार ना आए अगर छलक पडे आसु पोछने बाला कोई नही मजाक उठाने बाले हजारो होगे 🌿🌿
🍃🍃इसि भेदभाव को सहते हुए जमाने को यह बतलाना है सकल सुरत से ज्यादा इंसान का गुण और सच्चा दिल देखो 🌿🌿
🍃🍃 या मतलब भरी दुनिया चहरो पर ज्यादा मरती है गुणों पर नही 🌿🌿🌿
Written by
- Ritu kavar
Anoopshehar,
Bhadra,Hanumangar
(Rajasthan)
Posted by
-Om Tripathi
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