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Gauraiya ki Pukaar

 गौरेया की पुकार तपती दुपहरी और तेज धूप, छोटा सा आसियान मेरा भी है। आप के आराम के वक्त, मैं भी आई थी। तपती दुपहरी में सो रहे थे आप,  मैं मुंडेर से पुकार कर लौट आई। 'कूलर' की कर्कस आवाज ने,  मेरी करूण पुकार को दबा दिया।। - राधेश्याम जोशी कोहिणा Poet  राधेश्याम जोशी कोहिणा EDUCATION : ADDRESS :

Basant Ki Bahaar

बसंत की बाहार बसंत की बाहार फूलों की भरमार खुशबू से भरा ये संसार  रंगों से रंगा में हूँ पलास तन भी सुंदर मन भी सुंदर l ओर मेरा जीवन है सुंदर, धूप लगे न प्यास  मानव मन मोहित हो जाता भूख लगे ना प्यास l रहो आप सुखमय जीवन में खुशियों की बाहार l  अवनि भी अपना रंग बिखरे, केशर और हरियाली की शान l मानव मन मोहित जाता भूख लगे ना प्यास  फूलों सा रंग लगावो जाति,  धर्म का भेद मिटावो l रहो आप सुखमय जीवन में खुशियों की बाहार, धरा को भी आंच न आए फूलों सा रंग लगावो खुशियों की बाहार l रहो आप सुखमय जीवन में खुशियों की बाहार  जाति धर्म का भेद मिटावो होली का त्यौहार मनावो  खुशियों की बाहार, मिल बाट कर खुशियां मनावो सुख समृद्धि घर में लाओ  होली का त्यौहार मनावो फूलों सा रंग लगावो  रहो आप सुखमय जीवन में खुशियों की बाहार  बसंत की बाहार फूलों की भरमार खुशबू से भरा ये संसार  रहो आप सुखमय जीवन में खुशियों की बाहार l                          सुरेश कटारा एम. एस. सी वनस्पति शास्त्र  प्रक...