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फ़रवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Kisan

            "किसान" देश की शान होते हैं किसान,  करना चाहिए इनका सम्मान |  पोषण करते हैं सबका किसान,  उपजाते हैं ये विभिन्न धान || है किसान एक इक ऐसा नाम,  "जिससे बची है सबकी जान |  करते हैं ये आजीवन श्रम, छिल जाती है इनकी चर्म ।। सुबह-शाम और रात दिन,  हो गर्मी या फिर सर्दी । रहता है बस एक ख्याल,  जैसे-तैसे हो अन्न का भंडार || है किसान जगत के पालक,  चैन इनको नहीं सुहावत। होते हैं ये दीन-दुःखी,  मत आँको इनका जीवन सुखी ॥ है किसानों की क्या हस्ती,  बस करते रहो खेतों मे मस्ती | हरियाली की चुनर धानी,  फसले लगती है मस्तानी ।      👉 हमसे जुडने के लिए यहाँ click करें 👈 Poet Naresh Gora EDUCATION : ADDRESS :v/p Goro ka Tala Dhanau Barmer Rajasthan(344702) Publisher Om Tripathi Contact No. 9302115955 आप भी अगर साहित्य उत्थान के इस प्रयास में अपनी मदद देना चाहते हैं तो UPI ID. 9302115955@paytm पर अपनी इच्छा अनुसार राशि प्रदान कर सकते हैं। ...

Potani

  पौतानी   दानु मेरा अच्छा दोस्त है। वैसे तो उसका नाम नीरज है। पर हम सब दोस्त उसको दानु ही बुलाते है। उसको रजनीगंधा खाने का बहुत शौक है। वो रजनीगंधा के एक एक दाने बड़े प्यार से खाता है। इसलिए उसे हम सब दानु कहते है।  दानु जब भी रजनीगंधा मुँह में डाले रखता था। वो शब्द कुछ और कहता था और मुँह से कुछ और ही सुनने को मिलता था। जैसे पता नहीं को वो हमेशा पौतानी कहता था।  बाहरवीं पास करने के बाद हम सब दोस्त अलग-अलग हो गए। कुछ कॉलेज जाने लगे, कुछ आई.टी.आई, तो कुछ दिहाड़ी लगाने लगे। दानु का पढ़ाई में मन नहीं लगता था और न ही वो किसी के नीचे काम करना चाहता था। इसलिए वो अपनी टैक्सी चलाने लगा।  एक दिन दानु चार लड़कों को हमीरपुर से कुल्लू मनाली घुमाने के लिए ले गया। दानु ने रजनीगंधा खाना नहीं छोड़ा था। एक के बाद एक रजनीगंधा खाए जा रहा था। उसने उस दिन भी मुँह में रजनीगंधा डाला और चल पड़ा कुल्लू मनाली।  कुछ दूर जाने के बाद सभी को भूख लग पड़ी। उन लड़कों में से एक ने दानु से कहा भाई जी आगे अगर कहीं कोई खाने के लिए कोई होटल या ढाबा होगा तो रुक जाना बहुत भूख लगी है।  दानु...