पौतानी
दानु मेरा अच्छा दोस्त है। वैसे तो उसका नाम नीरज है। पर हम सब दोस्त उसको दानु ही बुलाते है। उसको रजनीगंधा खाने का बहुत शौक है। वो रजनीगंधा के एक एक दाने बड़े प्यार से खाता है। इसलिए उसे हम सब दानु कहते है।
दानु जब भी रजनीगंधा मुँह में डाले रखता था। वो शब्द कुछ और कहता था और मुँह से कुछ और ही सुनने को मिलता था। जैसे पता नहीं को वो हमेशा पौतानी कहता था।
बाहरवीं पास करने के बाद हम सब दोस्त अलग-अलग हो गए। कुछ कॉलेज जाने लगे, कुछ आई.टी.आई, तो कुछ दिहाड़ी लगाने लगे। दानु का पढ़ाई में मन नहीं लगता था और न ही वो किसी के नीचे काम करना चाहता था। इसलिए वो अपनी टैक्सी चलाने लगा।
एक दिन दानु चार लड़कों को हमीरपुर से कुल्लू मनाली घुमाने के लिए ले गया। दानु ने रजनीगंधा खाना नहीं छोड़ा था। एक के बाद एक रजनीगंधा खाए जा रहा था। उसने उस दिन भी मुँह में रजनीगंधा डाला और चल पड़ा कुल्लू मनाली।
कुछ दूर जाने के बाद सभी को भूख लग पड़ी। उन लड़कों में से एक ने दानु से कहा भाई जी आगे अगर कहीं कोई खाने के लिए कोई होटल या ढाबा होगा तो रुक जाना बहुत भूख लगी है।
दानु बोला – ठीक है।
थोड़ी ही देर बाद एक होटल दिखाई दिया। रात भी काफी हो गई थी। इसलिए सभी ने होटल में ही रुकने की सलाह की। दानु ने गाड़ी को पार्किंग मे लगाया और चारों लड़कों को लेकर होटल में चला गया। होटल में पहुँच कर उन चारों ने दो कमरे किराए पर लिए। एक अपने लिए और दूसरा दानु के लिए। कमरे लेने के बाद दानु अपने कमरे में चला गया और चारों लड़के अपने कमरे में चले गए।
दानु अपने कमरे में पहुँचा और कपड़े बदलने लगा। तभी किसी ने दरवाज़ा ठक ठकाया।
दानु कमीज के बटन खोलते हुए बोला – कौन है?
दरवाज़े के बाहर से आवाज़ आई-मैं वीक्कू। (वीक्कू उन्हीं चार लड़कों में से एक था। )
इनता सुन कर दानु ने दरवाज़ा खोल दिया। देखा तो वीक्कू के हाथ में एक शराब की बोतल थी और बाकी तीनों के पास गिलास, नमकीन और पानी की बोतल।
चारों दोस्त कमरे के अंदर आ गए और कमरे के अंदर रखे टेबल के ऊपर सारा समान रख दिया। फिर दानु और चारों दोस्त टेबल के पास लगी कुर्सीयों पर बैठ गए और पेग लगाने लगे। दूसरा पेग ख़त्म करने के बाद दानु ने जेब से राजनीगंधा निकाला और कर ली दुनिया कदमों में।
तभी वीक्कू ने भी दूसरा पेग ख़त्म करने के बाद बोला – दानु भाई यह जगह कौन सी हैं?
दानु को पता नहीं था तो दानु ने कहा– पौतानी !
वीक्कू ने सोचा इस जगह का नाम पौतानी है और बोला–अच्छा।
तभी विक्कू की नज़र सामने की दीवार पर पड़ी। उस दीवार पर एक आदमी की तस्वीर लगी थी। तभी विक्कू को याद आया जब वो होटल के अंदर आया था तब भी होटल के मेन गेट के सामने एक ऐसी ही तस्वीर लगी हुई थी। उसने फिर दानू से पूछा – यह तस्वीर किस की है?
दानू ने अभी तक दुनिया को कदमों में ही रखा था। दानू ने राजनीगंधा के दानो को चबाते हुए बोला– पौतानी।
इतना सुन कर विक्कू ने तीसरा पेग गिलास में डाल दिया। सभी ने तीसरा पेग ख़त्म किया औरइतना सुन कर विक्कू ने तीसरा पेग गिलास में डाल दिया। सभी ने तीसरा पेग ख़त्म किया और अपने कमरे में चले गए। दानू दुनिया को कदमो में करने लगा।
अपने कमरे में जा कर सभी दोस्त आपस में बाते करने लगे।
विक्कू अभी कुछ बोलने ही वाला था तभी उसने देखा उनके कमरे में भी वही तस्वीर लगी थी। उसने तस्वीर की तरफ देखते हुए बोला– कोई बड़ा आदमी लगता है।
दूसरा – हाँ ! तभी तो इस जगह का नाम भी इसी के नाम पर रखा है।
विक्कू – बिलकुल सही।
तभी किसी ने दरवाज़ा ठक ठकाया। विक्कू ने दरवाज़ा खोला तो देखा वेटर खाना लेकर आया था।
वेटर – सर खाना लाया हूँ।
विक्कू– यह सब टेबल पर रख दो और दूसरे कमरे में भी खाना दे आना।
वेटर टेबल पर खाना रखते हुए बोला– सर उन्होंने तो खा भी लिया। इतना कह कर वेटर वहाँ से चला गया। वेटर के जाने के बाद सभी दोस्तों ने खाना खाया और सो गए।
सुबह करीब आठ बजे जब विक्कू और उसके दोस्त सो कर उठे। तभी खिड़की से कुछ आवाज़ें आ रही थी। आवाज़ कुछ ऐसी थी– राम नाम सत्य है।
तभी सभी दोस्त दौड़ कर खिड़की के पास गए। जब उन्होंने बाहर देखा तो एक अर्थी को चार लोग उठाए जा रहे थे और उनके पीछे हजारो लोग चले जा रहे थे। तभी किसी ने दरवाज़ा खट खटाया। विक्कू ने जा कर दरवाज़ा खोला तो देखा दानू और वेटर खड़े थे और वेटर के हाथ में चाय के चार गिलास थे। गिलास देख कर विक्कू ने वेटर को बोला– जाओ जा कर एक गिलास और ले कर आओ।
इतने में दानू बोला– नहीं नहीं मैं चाय पी कर आ रहा हूँ। यह सिर्फ तुम चारों के लिए है। इनता बोलकर दानू खिड़की के पास जा पहुँचा। वेटर ने टेबल पर चाय रखी और चला गया।
दानू ने अपनी कमीज वाली जेब से राजनीगंधा निकाला और मुँह में रख लिया। तभी सभी दोस्तों ने चाय का अपना अपना कप उठा कर पीने लगे। विक्कू ने चाय की एक चुस्की ली और खिड़की से बाहर देखते हुए दानू से पूछा – तुम्हें पता है? यह कौन है?
दानू थूकते हुए बोला– पौतानी।
इतना सुनते ही विक्कू और तीनों दोस्तों ने अपना अपना कप टेबल पर रखा और खिड़की के पास आ गए। चारों दोस्तों ने हाथ जोड़े और आसमान की ओर देख कर बोला– ये भगवान ! पौतानी की आत्मा को शांति देना।
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